जबलपुर। जैसा कि विदित है मध्यप्रदेश के शासकीय विद्यालयों के प्राचार्यों को उनके विद्यालय के परीक्षा परिणाम के न्यून रहने को लेकर, संबंधित प्राचार्यों के विरुद्ध, असंचयी प्रभाव से वेतन वृद्धि रोकने जैसा, माइनर पनिशमेंट, आयुक्त लोकशिक्षण, भोपाल द्वारा अधिरोपित किया गया था।
इसी क्रम में, श्रीमती सुनीता जैन, प्राचार्य शासकीय हाई स्कूल, ग्वालटोली, जिला सीहोर के विद्यालय का परीक्षा परिणाम कथित रूप से 30 प्रतिशत ,वर्ष 2018-19 में रहा। जबकि, राज्य का औसत परिणाम 62.05 रहा है। इस आधार पर की, विद्यालय के न्यून परीक्षा परिणाम के कारण, प्रदेश का परीक्षा परिणाम प्रभावित हुआ तथा स्कूल शिक्षा विभाग की छवि धूमिल हुई, आयुक्त लोक शिक्षण, भोपाल द्वारा, श्रीमती सुनीता जैन के विरुद्ध , मध्यप्रदेश सिविल सेवा( वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम1966 के नियम 16 के तहत , असंचयी प्रभाव से दो वेतन वृद्धियां रोकने का आदेश दिनांक 19/12/19 को जारी किया गया था।
श्रीमती सुनीता जैन, प्राचार्य ग्वालटोली द्वारा, आदेश दिनाँक से 19/12/2019 को उच्च न्यायालय जबलपुर के समक्ष, नियम विरुद्ध होने कारण चुनौती दी गई थी। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के पश्चात, उच्च न्यायालय ने दिनाँक 20/07/2020 को वेतन वृद्धि रोकने वाले आदेश को स्टे कर, आयुक्त लोकशिक्षण एवं अन्य को नोटिस जारी किया है।
श्रीमती सुनीता जैन की तरफ़ से पैरवी करने वाले, उच्च न्यायालय, जबलपुर के वकील श्री अमित चतुर्वेदी के अनुसार, मध्यप्रदेश सिविल सेवा( वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) नियम1966 के नियम 16 के अतिक्रमण में दंड का आदेश जारी किया गया था। नियम 16 के अनुसार सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया था। चूँकि पनिशमेंट का आदेश बिना जाँच के किया गया था, उन परिस्थितियों मे यह उल्लेख करना जरूरी होता है कि दंड के पूर्व जाँच क्यों आवश्यक नही है। कारणों का लिखित उल्लेख किया जाना चाहिए।
कर्मचारियों की ओर से आरोप का निषेध होने पर, जाँच भी होनी चाहिये। न्यायालय द्वारा, प्रथम दृष्टया, वेतन वृद्धि रोकने वाला आदेश दिनाँक 19/12/2019 को नियम विरुद्ध पाया गया है एवं क्रियान्वयन पर रोक लगायी गयी है।
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