ग्वालियर। लोक निर्माण विभाग, मध्य प्रदेश के एक दागी इंजीनियर का ट्रांसफर रुकवाने के लिए ग्वालियर से भोपाल तक भागदौड़ की जा रही है। मार्च में जारी हुए ट्रांसफर ऑर्डर का पालन 30 जून 2020 तक नहीं किया गया। विधानसभा में सवाल लगा, उप सचिव ने भार मुक्त करने के आदेश दिए फिर भी रिलीव नहीं किया बल्कि चीफ इंजीनियर द्वारा ट्रांसफर रुकवाने के लिए एक और मौका दिया गया। 1 जुलाई 2020 जब दागी इंजीनियर से उसका प्रभार वापस लिया जाना चाहिए था, दागी इंजीनियर राजधानी में अपना तबादला रुकवाने की कोशिश कर रहा था। बताने की जरूरत नहीं की इस इंजीनियर का ट्रांसफर भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद हुआ है।
प्रभारी कार्यपालन यंत्री को ट्रांसफर के बाद भी रिलीव नहीं किया
मामला लोक निर्माण विभाग (विधुत/यांत्रिकी) संभाग ग्वालियर में पदस्थ प्रभारी कार्यपालन यंत्री श्री डीपी साहू से जुड़ा हुआ है, जिन्हें राज्य सरकार ने मार्च 2020 में भोपाल स्थानांतरित कर दिया था किंतु उक्त कार्यपालन यंत्री को प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के दिन मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग ग्वालियर ने भारमुक्त नही किया।
विधानसभा में प्रश्न लगा, उप सचिव ने भार मुक्त करने के आदेश दिए फिर भी...
इस गंभीर मामले की मध्यप्रदेश विधानसभा में मा.विधायक राजेश प्रजापति ने तारांकित प्रश्न क्रमांक 2800 के माध्यम से जानकारी चाही तब राज्य शासन के लोक निर्माण विभाग के उप सचिव अनिल कुमार खरे ने विधानसभा प्रश्न के तारतम्य में आदेश क्रमांक F/21-4/2019/,स्थापना/19 दिनाँक 29.6.20 में मुख्य अभियंता भारती को तत्काल कार्यपालन यंत्री साहू को भारमुक्त किये जाने के निर्देश दिये हैं, लेकिन फिर भी दिनांक 30 जून 2020 को एग्जीक्यूटिव इंजीनियर श्री डीपी साहू को रिलीव नहीं किया।
डीपी साहू को उप सचिव से मिलने का अवसर दिया गया
एक प्रभारी अधिकारी का पावर देखिए। चीफ इंजीनियर ने उप सचिव श्री अनिल खरे के आदेश के बाद भी उन्हें रिलीव नहीं किया बल्कि अपने पॉलिटिकल कनेक्शन का फायदा उठाकर ट्रांसफर ऑर्डर रद्द करवाने का अवसर दिया। इन आरोपों पर विश्वास इसलिए किया जा सकता है क्योंकि दिनांक 1 जुलाई 2020 को इंचार्ज एग्जीक्यूटिव इंजीनियर श्री डीपी साहू ग्वालियर से भोपाल के लिए रवाना हुए। जबकि इस कार्य दिवस पर उनका प्रभाव वापस लिया जाना चाहिए था।