कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक केपी सिंह, डॉ नरोत्तम मिश्रा से मिले: कमलनाथ के किले में बड़ी दरार / MP NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्यप्रदेश में अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे कमलनाथ ने संडे को किलेबंदी की थी (विधायक दल की बैठक बुलाकर सबसे वचन लिया था कि कोई भी विधायक कांग्रेस पार्टी छोड़कर नहीं जाएगा) परंतु सोमवार सुबह कमलनाथ के किले की दीवार में बड़ी दरार नजर आई। कांग्रेस पार्टी में दिग्विजय सिंह के बाद सबसे वरिष्ठ विधायक कृष्ण पाल सिंह सोमवार सुबह मध्य प्रदेश के गृहमंत्री एवं भाजपा के ऑपरेशन लोटस के कमांडर डॉ नरोत्तम मिश्रा से मिले। 

नए विधायकों को मंत्री बनाने से नाराज थे, लेकिन अनुशासन में रहे

कमलनाथ ने अपनी सरकार में कई खतरनाक प्रयोग किए। उनमें सबसे खतरनाक प्रयोग था अनुभवहीन और नए विधायकों को कैबिनेट मंत्री बनाना। पिछोर विधायक केपी सिंह जैसे कांग्रेस के कई पुराने सिपाही इस बात से नाराज थे। मीडिया में हमेशा खबरें आई कि केपी सिंह मंत्री पद ना मिलने से नाराज हैं जबकि केपी सिंह का गुस्सा उनसे जूनियर और अनुभवहीन विधायकों को नेट मंत्री बनाने पर था। इसके बावजूद उन्होंने कोई अनुशासनहीनता नहीं की। कभी अनुपस्थित रहकर तो कभी चुप रह कर अनुशासन के दायरे में अपनी नाराजगी प्रकट की। 

केपी सिंह संगठन के सिपाही लेकिन संगठन अब बचा ही नहीं 

मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा सीट से विधायक केपी सिंह कांग्रेस संगठन के सिपाही हैं। जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे तो उनके मंत्रिमंडल में मंत्री होने के नाते सभी जिम्मेदारियां निभाई। पार्टी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को लोकसभा का टिकट दिया तो अपनी विधानसभा से उन्हें जिताने की जिम्मेदारी उठाई। पार्टी ने जो भी आदेश दिया पिछोर विधानसभा में उसका पालन किया गया लेकिन समस्या यह है कि जब पार्टी के प्रति निष्ठा का प्रतिफल मिलने की बारी आई तो पार्टी दिखाई ही नहीं दी। 3 गुट थे और केपी सिंह किसी भी गुट के नेता नहीं थे। 

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