भोपाल। शैक्षणिक संस्थान ना लाभ, ना हानि के सिद्धांत पर काम करते हैं। परीक्षा फीस इसलिए ली जाती है ताकि प्रश्न पत्र की प्रिंटिंग और दूसरे अतिरिक्त खर्चों को वहन किया जा सके। यूनिवर्सिटी का कुलपति, कारोबारी नहीं हो सकता परंतु राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में दुकानदारी होती नजर आ रही है।
20 करोड़ की एक्स्ट्रा कमाई क्यों करना चाहता है यूनिवर्सिटी मैनेजमेंट
राजधानी के राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजपीवी) में सत्र 2019-20 में वर्तमान सेमेस्टर की परीक्षा नहीं होनी है। इसके बाद भी सभी छात्र-छात्राओं से पूरी फीस के साथ परीक्षा फॉर्म जमा कराए जा रहे हैं। ऐसे में विवि के इस सेमेस्टर में आने वाली फीस से करीब 20 करोड़ अनुमानित आमदनी होगी।
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आरजीपीवी को सत्र 2018-19 में 54 करोड़ की आमदनी परीक्षा फीस से हुई थी। सत्र 2019-20 में वर्तमान सेमेस्टर की परीक्षा नहीं होनी है। उत्तर पुस्तिकाओं का उपयोग भी अब अगले सत्र में होगा। खास यह भी है कि विवि नाॅन प्रोफिटेबल होने के साथ शासकीय संस्थान है। वहीं इसके पास करोड़ों रुपए का कॉर्पस फंड है, फिर भी इस महामारी में विवि फीस जमा कराने के लिए छात्रों को मजबूर कर रहा है।
रिजल्ट में ₹12 प्रति छात्र खर्चा आएगा, ₹1300 क्यों मांग रहे हैं
यूजी में प्रति छात्र सेमेस्टर फीस 1300 रुपए है। अब परीक्षा नहीं होनी तो रिजल्ट तैयार करने में कई खर्चे कम होंगे। विवि के पास पिछली परीक्षाओं के रिजल्ट का रिकॉर्ड है। ऐसे में रिजल्ट को प्रोसेस करने में प्रति छात्र 12 रुपए ही खर्च आएगा।
दो माह से जमा हो रहे फॉर्म
आरजीपीवी में परीक्षा फॉर्म पिछले दो महीनों से जमा हो रहे हैं। अभी आनॅलाइन लिंक ओपन है। परीक्षा नहीं कराने की सरकार की घोषणा के बाद भी परीक्षा फॉर्म भरवाए जाने से छात्र व अभिभावक असमंजस में हैं।
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