श्रीमती शैली शर्मा। रक्त या खून जिसे अंग्रेजी में BLOOD कहते हैं, साधारण शब्दों में वह तरल पदार्थ है जो हमारे शरीर में विभिन्न प्रकार के पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाता है। यह पदार्थ लाभदायक तथा हानिकारक दोनों ही प्रकार के होते हैं।
विज्ञान की भाषा में समझिए रक्त क्या है?
रक्त या ब्लड एक तरल संयोजी ऊतक है जो रक्त वाहिनियों (blood vessels) अर्थात धमनी तथा शिरा (arteries and veins) मैं बहता है। अब यहां एक और नई मुसीबत आ गई। जिसका नाम है, ऊतक (tissue) तो अब इसका पता करना पड़ेगा कि यह नया शब्द ऊतक कहां से आया।
अब ये ऊतक क्या होता है, कहां से आया
अगर आपको ध्यान हो की कोशिका क्या होती है तो उस से इसका संबंध पता चल जाएगा। कोशिका सभी जीवों की संरचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई होती है। तो इन्हीं कोशिकाओं के समूह को ऊतक कहा जाता है।
रोजमर्रा की जिंदगी से जोड़कर देखें तो जिस प्रकार एक मकान को बनाने के लिए ईंट, सीमेंट , रेत, पानी आदि की आवश्यकता होती है। ठीक उसी तरह किसी भी जीव के शरीर को बनाने के लिए कोशिका, ईंट की तरह कार्य करती है जबकि ऊतक, मसाले की तरह कार्य करते हैं और उन्हें आपस में जोड़ देते हैं। और जीव का शरीर बन जाता है इसके आगे की कहानी भी है पर उसे कभी और जानेंगे।
अब सवाल ये उठता है कि उठता है कि रक्त मैं कौन से पदार्थ पाए जाते हैं??
रक्त में मुख्य रूप से 2 भाग होते हैं
1. प्लाज्मा (plasma) -55%
2. रक्त कण (blood capuscles) -45%
तो मालिक कौन और नौकर कौन है? (Just for fun)
प्लाज़्मा क्या होता है, कैसे बनता है
अभी रक्त कणों को छोड़ते हुए हम प्लाज्मा को पकड़ेंगे। तो अब सवाल है कि प्लाज्मा क्या होता है? रक्त के तरल भाग को प्लाज्मा कहते हैं। जिसमें 90% पानी और 10% प्रोटीन, कार्बनिक पदार्थ, अकार्बनिक पदार्थ आदि पाए जाते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात प्लाज्मा के प्रोटीन में एंटीबॉडीज पाए जाते हैं जो बीमारियों और संक्रमण से शरीर की रक्षा करते हैं। इसी प्रकार की प्रोटीन मां के दूध में भी पाई जाती है जो बीमारियों और संक्रमण से नवजात शिशु की रक्षा करती है।
अब सवाल है कि कोविड-19 या कोरोना के इलाज में प्लाज्मा कैसे उपयोगी है ?
इसका आधार यह है कि कोरोना से ठीक हो चुके व्यक्ति के शरीर से निकाले गए प्लाज्मा से कोरोना पीड़ित चार अन्य लोगों का इलाज किया जा सकता है। क्योंकि कोरोना से ठीक हो चुके व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस के संक्रमण को बेअसर करने वाली प्रतिरोधी एंटीबॉडीज विकसित हो जाती है। यही कारण है कि कोरोना से ठीक हो चुके व्यक्ति का प्लाज्मा स्वस्थ व्यक्तियों को दान किया जाता है।
लेखक श्रीमती शैली शर्मा मध्यप्रदेश के विदिशा में अतिथि शिक्षक हैं। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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लेखक श्रीमती शैली शर्मा मध्यप्रदेश के विदिशा में अतिथि शिक्षक हैं। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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