क्या आप जानते हैं, आपका कान आपकी बॉडी का बैलेंस बनाता है, खुद पढ़ कर देख लीजिए #सरलSCIENCE

Bhopal Samachar
श्रीमती शैली शर्मा। पहला सवाल: कान का आपके जीवन में क्या उपयोग है, सबसे सरल उत्तर, कान से हमें दूसरों की आवाज सुनाई देती है। कान सुनने के काम आते हैं। दूसरा सवाल: क्या कान का और भी कोई उपयोग है। कुछ स्मार्ट लोग बताएंगे: चश्मा लगाने, ईयर फोन लगाने, Bluetooth लगाने, hearing add लगाने (कान की मशीन) और अब एक और नया काम मास्क लगाने के काम भी आते हैं। तीसरा सवाल: कान का आपके जीवन में क्या महत्व है? आइए जानते हैं:-

क्या आप जानते हैं कि इसके अलावा भी कानों का उपयोग होता है?

अब आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कानो की हमारे सीधा चलने में, सीधे खड़े रहने मैं तथा शरीर का सन्तुलन बनाए रखने मै भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। 

जब हम झूले से उतरते हैं तो चक्कर क्यों आते हैं? 

तो इसका कारण है हमारे कान में उपस्थित एक विशेष प्रकार का द्रव्य जिसे अंतर लसीका या Endolymph कहते हैं। जब झूला घूमता है तो यह द्रव्य भी उसके साथ घूमता जाता है और जब अचानक झूला रुकता है तो वह द्रव भी रुक जाता है और उसी के कारण चक्कर आना, उल्टी आना जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

कान के बारे में कुछ रोचक तथ्य

मनुष्य के शरीर की सबसे छोटी हड्डी स्टेप्स(stapes) मध्य कर्ण मै पाई जाती है।
मनुष्य का काम अस्थि तथा तथा उपास्थि से मिलकर बनी रचना है।
मनुष्य के बाहरी कानों का आकार तथा किडनी का आकार लगभग समान होता है कानों को देखकर किडनी के स्वास्थ्य के बारे में भी पता लगाया जा सकता है।
जितना बड़ा शरीर उतने बड़े कान इसी कारण हाथी के कान इतने बड़े होते हैं क्योंकि इतने बड़े शरीर का संतुलन बनाना होता है।
स्त्रियों में सौंदर्य बढ़ाने के लिए कानो को सदियों से छिदवाने की परंपरा है परंतु अब पुरुषों में भी यह प्रचलित होता जा रहा है।

 कान छिदवाने की धार्मिक मान्यताएं

हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से नवा संस्कार कर्ण छेदन संस्कार होता है।
ज्योतिष के अनुसार कान छिदवाने से राहु, केतु का प्रभाव समाप्त हो जाता है।

कान छिदवाने की वैज्ञानिक मान्यताएं

कान छिदवाने से बौद्धिक योग्यता बढ़ती है।
मस्तिष्क में रक्त का संचार सुचारु ढंग से होता है।
आंखों की रोशनी तेज होती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
लकवा (paralysis)जैसी जानलेवा बीमारी से भी बचा जा सकता है।
लेखक श्रीमती शैली शर्मा मध्य प्रदेश के विदिशा में अतिथि शिक्षक हैं। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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