वायरस जीवित होता है या अजीवित, क्या अपने आप नष्ट हो जाता है #सरलSCIENCE

Bhopal Samachar
श्रीमती शैली शर्मा। 'वायरस' यह शब्द तो अब भारत के उस बच्चे को भी याद हो गया है जिसने कभी बीमारी नहीं देखी। सारी दुनिया सिर्फ एक ही सवाल पूछ रही है, वायरस कब खत्म होगा। आइए इसके बारे में थोड़ी जानकारी बढ़ाते हैं। देखते हैं विज्ञान की किताबों में क्या लिखा है। 

सबसे पहले विज्ञान की भाषा में समझिए 

भारतीय विज्ञान के अनुसार वायरस का शाब्दिक अर्थ होता है 'विष 'या 'ज़हर' सर्वप्रथम वैज्ञानिक एडवर्ड जेनर ने चेचक के विषाणु का पता लगाया था। अब प्रश्न यह है कि विषाणु या वायरस जीवित है या अजीवित ? जीव विज्ञान के अनुसार जो कोशिका या cell है वही जीवित है। अब सवाल उठता है कि कोशिका क्या है ?? "सभी जीवों की संरचनात्मक व क्रियात्मक इकाई को कोशिका कहा जाता है "इसी कोशिका में जीव अपनी सभी जैविक क्रियाएं जैसे श्वसन, पाचन उत्सर्जन आदि पूर्ण करते हैं। विषाणु एक संपूर्ण कोशिका नहीं है। यह जीवित व अ जीवित के बीच की कड़ी या लिंक है। अर्थात इनमें दोनों के लक्षण पाए जाते हैं। एक और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जीवित कोशिका में पहुंचते ही यह जीवित की तरह व्यवहार करते हैं जबकि मृत कोशिका में यह मृत की तरह व्यवहार करते हैं। 

अब सरल शब्दों में समझिए

विषाणु संक्रमण कैसे करते हैं यह नाभिकीय अम्ल (DNA/RNA) तथा प्रोटीन से मिलकर बने होते हैं। जब यह एक बार जीवित कोशिका में पहुंच जाते हैं तो अपने DNA या RNA की प्रतिकृति बनाने लगते हैं। कुल मिलाकर यदि यह किसी जीवित प्राणी के शरीर में है तो जीवित हैं और यदि यह किसी निर्जीव वस्तु पर पड़े हुए हैं तो निर्जीव है। इनकी इस खास बात के कारण सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह अपने आप नष्ट नहीं होते। क्योंकि जब इन्हें भोजन मिलता है तभी यह जीवित होते हैं। भोजन नहीं मिलता तो बेहोश पड़े रहते हैं। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
लेखक श्रीमती शैली शर्मा मध्य प्रदेश के विदिशा में अतिथि शिक्षक हैं।

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