श्रीमती शैली शर्मा। यूं तो फंगस या कवक को सभी ने देखा है और ज्यादातर लोगों ने खाया भी होगा परंतु यह कहां से आता है ? कैसे आता है? यह वास्तव में क्या है ? इसके फायदे और नुकसान क्या है? आज हम इसका पता लगाने की कोशिश करेंगे।
आप अपने नाश्ते में ब्रेड, इडली डोसा, खमन -ढोकला आदि तो खाते ही होंगे परंतु आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि इन सब चीजों को बनाने के लिए फंगस यानी कि फफूंद की आवश्यकता होती है। जो बाजार में कई रूपों जैसे - ईनो, खमीर या yeast powder के रूप में उपलब्ध है।
इसको हम घर में भी किण्वन की क्रिया द्वारा भी बना लेते हैं। जो लोग यह चीजें अक्सर बनाते हैं वे इस बात से सहमत होंगे कि ठंड के मौसम में खमीर आसानी से उत्पन्न नहीं होता जबकि बारिश और गर्मी के मौसम में बहुत आसानी से उत्पन्न हो जाता है। कई लोग इसे खाना भी पसंद नहीं करते क्योंकि यह फंगस है परंतु यह ऐसा फंगस है जो शरीर के लिए लाभदायक है।
वास्तव में फंगस या कवक क्या होता है??
जिस प्रकार बारिश में उगने वाली हरी-हरी काई पौधे होते हैं उसी तरह fungus भी पौधे ही हैं।जिनमें थोड़ी जड़ जैसी रचनाएं दिखाई देती है परंतु तना, पत्ती, फल, फूल आदि दिखाई नहीं देते। इनमें क्लोरोफिल का अभाव होता होता है। इस कारण अपना भोजन स्वयं नहीं बना पाते और अपने पोषण के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं। अतः परपोषी (Heterotrophic) कहलाते हैं। यह मृतजीवी, सहजीवी, परजीवी आदि कई रूपों में पाए जाते हैं। यह भी वनस्पति जगत के सबसे बड़े समूह थैलोफाइटा के सदस्य हैं।
फफूंद या कुकुरमुत्ता वैज्ञानिक तथ्य-
कवकों के अध्ययन को माइकोलॉजी कहा जाता है
दुनिया का पहला एंटीबायोटिक या प्रतिजैविक पेनिसिलिन, एलेग्जेंडर फ्लेमिंग द्वारा पेनिसिलियम नोटैटम नामक कवक से ही प्राप्त किया गया था।
कवकों से होने वाले लाभ
अनेक प्रकार के मशरूम का प्रयोग खाने के रूप में किया जाता जाता है परन्तु कुछ मशरूम जहरीले भी होते हैं।
कवकों का उपयोग कई प्रकार के प्रतिजैविक या एंटीबायोटिक बनाने में, फर्मेंटेशन इंडस्ट्री में, बेकरी इंडस्ट्री में, बियर इंडस्ट्री, वाइन इंडस्ट्री आदि मै किया जाता है।
इनसे कई प्रकार की दवाइयां भी बनाई जाती हैं।
कवकों से होने वाली हानियां
कवकों द्वारा मनुष्य, जंतु तथा पादप में कई प्रकार के रोग उत्पन्न किए जाते हैं।
गेहूं में उत्पन्न होने वाला रोग काला रस्ट ( black ruskt) पूरी गेहूं की फसल को बर्बाद कर देता है।
इसके अतिरिक्त मनुष्य में कान बहना, गंजापन, दाद, खुजली आदि रोग कवकों के कारण उत्पन्न होते हैं।
बारिश के पानी में इनके spores या बीजाणु उपस्थित होते हैं इसलिए बारिश में भीगने के बाद सादा पानी से जरूर नहाना चाहिए जिससे fungal इंफेक्शन का खतरा कम हो जाता है।
लेखक श्रीमती शैली शर्मा मध्य प्रदेश के विदिशा में अतिथि शिक्षक हैं। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)