नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन) ने एक प्रेस नोट जारी करके दावा किया है कि भारत के 560 विश्वविद्यालयों ने यूजीसी गाइडलाइन का पालन करते हुए टर्मिनल सेमेस्टर के स्टूडेंट्स के लिए फाइनल एग्जाम कंडक्ट कराने परीक्षा कार्यक्रम बना लिया है।
366 यूनिवर्सिटी में परीक्षाओं का आयोजन अगस्त या सितंबर महीने में
यूजीसी ने दावा किया कि कि उन 560 विश्वविद्यालयों में से जिन्होंने परीक्षा के संचालन के संबंध में अपने निर्णय की घोषणा की है उनमें से 366 विश्वविद्यालय अगस्त या सितंबर में परीक्षा आयोजित करेंगे, और बाकी ने पहले ही परीक्षा आयोजित कर दी थी।
भारत की 945 में से 560 यूनिवर्सिटी, यूजीसी के साथ
आधिकारिक बयान में, यूजीसी ने कहा, "945 विश्वविद्यालयों में से (यूजीसी द्वारा 01-06-2020 तक रखी गई सूची के अनुसार) 755 विश्वविद्यालयों (120 डीम्ड विश्वविद्यालय, 274 निजी विश्वविद्यालय, 40 केंद्रीय विश्वविद्यालय और 321 राज्य) से प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई थीं। 755 विश्वविद्यालयों में से 560 विश्वविद्यालयों ने या तो परीक्षा आयोजित की है या परीक्षा आयोजित करने की योजना बना रहे हैं।"
परीक्षाएं, शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग: यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन
यूजीसी ने विश्वविद्यालय में परीक्षा के संचालन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए, जिसमें कहा गया है कि देश भर के सभी विश्वविद्यालयों को इस साल टर्मिनल सेमेस्टर के छात्रों के लिए फाइनल परीक्षा आयोजित करनी चाहिए। आयोग ने परीक्षाओं को शिक्षा प्रणाली का अभिन्न अंग बताया है, उन्होंने कहा कि जो छात्र विदेशी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश चाहते हैं, उनके लिए परीक्षा आवश्यक है।
यूजीसी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल हो चुकी है
यूजीसी के नए दिशानिर्देशों ने विश्वविद्यालयों को सितंबर 2020 तक ऑनलाइन या ऑफलाइन मोड में परीक्षा आयोजित करने के लिए कहा है। इस फैसले को देश भर की राज्य सरकारों और छात्रों से बहुत आलोचना मिली है, जिन्होंने केंद्र सरकार को परेशानी बताते हुए पत्र भी लिखा है। इसके अलावा महाराष्ट्र की युवा सेना ने सुप्रीम कोर्ट में यूजीसी के इस फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल कर दी है। सभी की दलील है कि आपातकाल की स्थिति में नियमों को शिथिल कर दिया जाना चाहिए।