UJJAIN के पूर्व SDM, कांग्रेस नेता, सब इंजीनियर सहित 12 के खिलाफ FIR, मामला शांति पैलेस का जैसे विस्फोट से उड़ाया था

Bhopal Samachar

इंदौर। होटल शांति पैलेस क्लर्क मामले में उज्जैन के पूर्व एसडीएम, एक कांग्रेस नेता, एक सब इंजीनियर सहित उन सभी 12 लोगों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है जिन्होंने इस अवैध होटल को बनाने में पद का दुरुपयोग किया एवं साजिश में शामिल हुए। आपको याद ही होगा कि उज्जैन के आलीशान थ्री स्टार होटल शांति पैलेस क्लार्क को हाईकोर्ट के आदेश पर विस्फोट से उड़ा दिया गया था।

उज्जैन के नानाखेड़ा स्थित एक थ्री स्टार होटल शांति पैलेस क्लार्क इन का अवैध रूप से साठगांठ करके निर्माण कर लिया गया था। इस पूरे अवैध निर्माण पर एक गोपनीय शिकायत हुई जिसके बाद जब कागजों को देखा गया तो पता चला कि होटल पूरी तरह अवैध जमीन पर खड़ा कर लिया गया जिसमें न सिर्फ गृह निर्माण मंडल के सदस्य बल्कि सरकारी अधिकारी की भी सांठगांठ भी शामिल थी।

जुलाई 2019 में विस्फोट से उड़ा दिया गया था होटल शांति पैलेस क्लार्क


हालांकि होटल को हाई कोर्ट के आदेश के बाद 7 जुलाई 2019 को विस्फोट से उड़ा दिया गया, लेकिन अब एक बार फिर EOW में इसकी शिकायत के बाद कुल 12 लोगों पर मामला दर्ज कर लिया है जिसमें पूर्व SDM, पटवारी ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक सहित कांग्रेस नेता और सब-इंजीनियर भी शामिल है।

होटल शांति पैलेस क्लार्क मामले में आरोपियों के नाम

आर्थिक अपराध शाखा ने चंद्रशेखर श्रीवास निवासी सुदामा नगर, संपत्ति में भागीदार उनके परिवार की एक महिला, आदर्श विक्रम गृह निर्माण सोसायटी के अध्यक्ष और कांग्रेस नेता योगेश पिता भगवती लाल शर्मा निवासी फव्वाराचौक, नमन गृह निर्माण संस्था के अध्यक्ष मनोज पिता बालकृष्ण बंसल निवासी ऋषिनगर, अंजली गृह निर्माण संस्था के अध्यक्ष नंदकिशोर शर्मा निवासी विवेकानंद कॉलोनी के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है।

इस प्रकरण में तत्कालीन पटवारी आदर्श जामगढ़े, टी एंड सीपी के तत्कालीन संयुक्त संचालक राजीव कुमार पांडेय, तत्कालीन एसडीएम आर.एस. मीणा, नगर निगम रतलाम के वर्तमान एक्जिक्यूटिव इंजीनियर और उज्जैन नगर निगम में पूर्व में पदस्थ रहे जी.के. जायसवाल, सब इंजीनियर श्याम सुंदर शर्मा, नगर निगम स्टोर विभाग के लिपिक भूपेंद्र वेगड़ और नगर निवेश विभाग के सुप्रीटेंडेट इंजीनियर रामबाबू शर्मा को भी आरोपी बनाया है।

इन सभी आरोपियों ने तीन गृह निर्माण संस्थाओं की जमींन को आपसी सांठ-गांठ कर पहले आवासीय के रूप में डायवर्ट कराया और बाद में इसे कृषि उपयोग की बताकर होटल संचालक को बेच दिया। होटल संचालक चंद्रशेखर श्रीवास ने इस जमींन को नियमों के विपरीत जाकर होटल निर्माण की अनुमतियां प्राप्त की थी।

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