जबलपुर के एक मंदिर में है भगवान श्री कृष्ण के वस्त्र और 60 तीर्थों की शिलाएं / SHRI KRISHNA TEMPLES

Bhopal Samachar
जबलपुर
। बाई का बगीचा में स्थित श्री गोपाल मंदिर का निर्माण एवं संचालन श्री जयकृष्णी पंथ द्वारा किया जाता है। मंदिर के महंत का दावा है कि इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण द्वारा पहने गए वस्त्रों के टुकड़े एवं भगवान श्री कृष्ण के 1650 तीर्थों में से 60 तीर्थ स्थलों की शिलाएं मौजूद हैं। पढ़िए नई दुनिया में सेवाएं दे रहे वरिष्ठ पत्रकार श्री बृजेश शुक्ला की यह रिपोर्ट:-

जबलपुर में भगवान श्री कृष्ण के 60 तीर्थों की शिलाएं मौजूद हैं

बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के 1650 तीर्थ हैं। इस मंदिर में 60 तीर्थों की शिलाएं मौजूद हैं। जिसमें मुख्य रूप से उत्तरप्रदेश के गोवर्धन पर्वत, महाराष्ट्र के रिद्धपुर, माहुर, फलटन, डोमेग्राम, बेलापुर, गुजरात के द्वारिका और मप्र के उज्जैन मुख्य रूप से शामिल हैं। जहां-जहां भगवान के चरण रज पड़े वहां के पत्थरों (पाषाण) को विग्रह के रूप में तैयार कर यह पंथ भगवान की प्रतिमा के पास स्थापित करता है। 

जबलपुर के श्री गोपाल मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के वस्त्रों के टुकड़े मौजूद है

भगवान से जुड़ी वस्तुओं को इस पंथ के महंत बड़े संभालकर रखते हैं। महंत कृष्णराज बाबा बताते हैं कि इस पंथ के मुख्य 13 महंत थे। जिनके पास भगवान के उपयोग की हुई कोई न कोई वस्तु थी। इस परंपरा में गुरु अपने शिष्यों को समान रूप से पंथी धन देता है। जबलपुर में भगवान के वस्त्र के रूप में रेशम के छोटे-छोटे टुकड़े हैं। इन्हें विशेष तौर पर मढ़वाकर कई परत के अंदर रखा जाता है।

1980 में हुई थी मंदिर की स्थापना, अमरावती से आए थे दत्तराज बाबा

बाई का बगीचा स्थित श्री गोपाल मंदिर की स्थापना 1980 में हुई थी। इसके बाद प्रतिमा स्थापना 1984 में की गई। छिंदवाड़ा में जन्मे महंत दत्तराज बाबा भक्तों के अनुरोध पर 1967 में अमरावती आश्रम महाराष्ट्र से आए थे। गीता मंदिर में सेवा करते हुए वे 1972 में निवृत्त हो गए थे। यहां सुंदरलाल पांडे ने कुछ जमीन दान में दी और कुछ जमीन उन्होंने खरीदी। अपनी जमीन बेचकर और क्षेत्रीय लोगों की सहायता से 1980 में मंदिर बनवाया। इसके बाद 1993 में गोलोकवासी हुए। इसके बाद महंत कृष्णराज एवं परिवार ने 2002 में मंदिर का कलशारोहण किया।

इनका कहना है
मेरे गुरु महंत दत्तराज बाबा ने परंपरानुसार भगवान के कपड़े दिए थे, जिसे खास तौर पर मढ़वाया गया है जिससे वह खराब न हो। इसे जन्माष्टमी, छठी और अन्य त्योहार में भगवान के पूजन में शामिल किया जाता है। यह पंथी धन है।
- महंत कृष्णराज बाबा, श्री गोपाल मंदिर, बाई का बगीचा

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