यह तो सभी जानते हैं कि शारीरिक संबंध बनाने के लिए झूठी शादी करना गंभीर अपराध है परंतु कई बार कुछ ऐसी परिस्थितियां बनती है जब एक युवक किसी अन्य लड़की से प्रेम करता है परंतु परिवार के दबाव में आकर उनकी मर्जी से दिखावे की शादी कर लेता है। या फिर लुटेरी दुल्हन, जो चोरी करने की नियत से शादी करती है। क्या इस तरह की शादी, जबकि दोनों के बीच कोई संबंध ना बना हो अपराध माना जाएगा या नहीं। आइए पढ़ते हैं भारतीय दंड संहिता 1860 में इस तरह की परिस्थिति के लिए कौन सी धारा में दंड का प्रावधान किया गया है:-
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 496 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति (स्त्री या पुरूष) कपटपूर्ण तरीके से ऐसी शादी रचता है जो किसी भी रीति-रिवाजों या कानूनी तौर पर अवैध है। ऐसा करने वाला व्यक्ति धारा 496 के अंतर्गत दोषी होगा।
नोट:- धारा 496 में शादीपूर्ण होने मात्र से ही अपराध घटित हो जाता है। जबकि धारा 493 में शादी के बाद शारिरिक संबंध या शोषण होना भी जरूरी है।
भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 496 की परिभाषा:-
इस धारा के अपराध किसी प्रकार से समझौता योग्य नहीं होते हैं। यह अपराध असंज्ञेय एवं जमानतीय अपराध होते हैं,इनकी सुनवाई का अधिकार प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को होता है। सजा- इस अपराध में दोषी पति या पत्नी को 7 वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
उधारानुसार वाद:- प्रसन्न कुमार बनाम धनलक्ष्मी वाद- न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया कि जहाँ आरोपी द्वारा द्वितीय विवाह नकली या दिखवे के लिए कपटपूर्ण या बेईमानी के आशय से किया गया हो, तो उसके विरुद्ध उस व्यक्ति के द्वारा शिकयत की जाएगी जिसके साथ धोखा हुआ है न के पति या पत्नी के पहले पति या पत्नी द्वारा।
बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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