इन दिनों सोशल मीडिया पर अक्सर कुछ वीडियो वायरल हो जाते हैं। कोई चोर या लुटेरा घर में घुस आता है और घर के लोग अपने प्राण एवं प्रॉपर्टी की रक्षा के लिए उस पर हमला करके उसे बंधक बना लेते हैं। पुलिस को बुलाकर उसे गिरफ्तार करवा दिया जाता है। यहां प्रश्न उपस्थित होता है कि हिंसा एक अपराध है तो क्या चोर-लुटेरों पर किया गया हमला अपराध नहीं है। भारतीय दंड संहिता में ऐसी परिस्थिति के लिए भी धारा 97 का प्रावधान किया गया है। आईपीसी की धारा 97 आम नागरिक को किसी भी चोर या लुटेरे से अपनी संपत्ति की रक्षा करने का अधिकार देती है। इस धारा के तहत अपनी चल अचल संपत्ति की रक्षा करने के लिए जेब कतरे से लेकर हथियारबंद लुटेरों तक हमला करना क्षमा योग्य अपराध माना जाता है।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 97 की परिभाषा:-
धारा 97 में एक व्यक्ति को यह अधिकार दिया जाता है कि वह अपनी या अन्य किसी व्यक्ति की संपत्ति (संपति से अर्थ:- चल एवं अचल संपत्ति) की सुरक्षा के लिए किसी ऐसे व्यक्ति जो किसी की संपति को बेबजहा लूटता, कब्जा करता है, चोरी करता है, नुकसान पंहुचाता है या सम्पति को खत्म करता है, पर किया गया हमला अपराध नहीं होगा।
उधारानुसार वाद:- राजेश्वर बनाम उत्तर प्रदेश- न्यायालय द्वारा निर्णय लिया गया कि स्वयं की रक्षा के लिए तब ही आप हमला कर सकते हैं जब कोई व्यक्ति आपकी संपत्ति क जबरदस्ती नुकसान पहुंचा रहा है। तब आपको हमला करने का अधिकार होगा न कि किसी से बदला या धमकी देने पर आप किसी पर हमला करे।
बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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