सरकारी कर्मचारी अक्सर एक वाक्य दोहरा कर आम नागरिकों में दहशत उत्पन्न करते हैं कि यदि उन्हें रोका गया तो शासकीय कार्य में बाधा का प्रकरण दर्ज किया जाएगा। इसी प्रकार कई बार कुछ पुलिस कर्मचारी बिना पर्याप्त कानूनी अधिकार के अपनी वर्दी या पद का दुरुपयोग करते हुए आम नागरिक के घर में घुस आते हैं या फिर उस पर हमला कर देते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि ऐसी स्थिति में यदि आप हमले को विफल करने के लिए अपनी जान या फिर संपत्ति की रक्षा के लिए बल प्रयोग करते हैं तो भारतीय दंड संहिता की कौन सी धारा के तहत इसे अपराध नहीं माना जाएगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 99 की परिभाषा:-
अगर कोई लोकसेवक या पुलिस थाना अधिकारी किसी व्यक्ति के यहाँ वैध तरीके से या वैध वारंट लेकर जाता है और अचानक उसको बलपूर्वक गिरफ्तार करे, तब व्यक्ति को वहाँ पर निजी सुरक्षा का अधिकार प्राप्त नहीं होता है लेकिन लोकसेवक किसी अवैध तरीके से या अपनी हैसियत से ज्यादा पद का प्रयोग अवैध तरीक़े से करता है तब व्यक्ति को निजी सुरक्षा का अधिकार प्राप्त हो सकता है।
उधरणानुसार:- यदि कोई पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लेता है, तो इसके विरुद्ध गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को निजी सुरक्षा का अधिकार प्राप्त नहीं होगा, भले ही उस पुलिस अधिकारी को गिरफ्तारी का अधिकार न हो।लेकिन यदि पुलिस अधिकारी पूर्णतया अपनी अधिकारिता के बाहर कार्य करता है, तो उसके इस कार्य के विरुद्ध व्यक्ति को निजी सुरक्षा का अधिकार प्राप्त होगा।
बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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