Bank's fixed deposit scheme also carries risk / some important things to know
भारत के ज्यादातर मिडिल क्लास लोग BANK पर भरोसा करते हैं। उनका एक SAVING ACCOUNT होता है जिसकी PASSBOOK हमेशा अपडेट रहती है। अपने जमा धन (SAVINGS) को यहां-वहां निवेश (INVEST) करने के बजाए बैंक की फिक्स डिपॉजिट स्कीम (BANK FIXED DEPOSIT SCHEME) में जमा करना पसंद करते हैं। मध्यमवर्गीय लोगों का मानना है कि उनके द्वारा कठिन परिश्रम से कमाए गए धन की सुरक्षा बैंक ही कर सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। BANK FD में भी रिस्क होता है।
बैंक का एफडी में आपकी 100% रकम नहीं है सुरक्षित
बैंक एफडी को आमतौर पर लोग बेहद ही सुरक्षित मानते हैं और अपनी बड़ी रकम उसमें निवेश करते हैं। वैसे तो एफडी में रकम सुरक्षित ही होती है, लेकिन अगर बैंक किसी कंडीशन में डिफाल्ट कर जाए तो निवेशकों की सिर्फ 5 लाख जमा पूंजी ही सुरक्षित रहती है। यही केस फाइनेंस कंपनियों पर भी लागू है। डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन आपकी जमा राशि पर सिर्फ 5,00,000 रुपये तक का ही बीमा करता है।
बैंक का एफडी की सबसे बड़ी समस्या: लिक्विडिटी इश्यू
बैंक एफडी में लिक्विडिटी इश्यू होता है। वैसे तो जरूरत पड़ने पर एफडी को तोड़ा जा सकता है, लेकिन इस पर कुछ पेनल्टी देनी पड़ती है। एफडी पर क्या पेनल्टी अमाउंट होगा यह अमाउंट अलग अलग बैंकों में अलग अलग हो सकता है। अगर आपने कोई टैक्स सेविंग एफडी में निवेश किया हुआ है, तो आप इसको 5 साल की अवधि से पहले भी निकाल सकते हैं लेकिन तब आपको आयकर में बचत की सुविधा नहीं मिलेगी।
बैंक एफडी का सबसे बड़ा नुकसान: बढ़ती महंगाई से घटता है रिटर्न
एफडी पर रिटर्न यानी ब्याज दर फिक्स और पहले से तय होता है लेकिन महंगाई लगातार बढ़ती रह सकती है। ऐसे कंडीशन में अगल महंगाई को एडजस्ट करें तो FD पर मिलने वाला रिटर्न मौजूदा दौर में बहुत कम है। मान लिया कि अभी महंगाई 6% के आस पास है आगे और बढ़ती है। वहीं BANK FD पर ज्यादातर बैंक 6 से 7% की दर से ही ब्याज दे रहे हैं। ऐसे में 5 साल बाद महंगाई से तुलना करें तो रिटर्न कुछ भी नहीं मिलेगा।
1 दिन के अंतर से नुकसान
अक्सर लोग FD राउंड फिगर कहलाने वाली अवधि जैसे 6 माह, 1 साल, 2 साल आदि के हिसाब से कराते हैं। कुछ बैंकों में इस राउंड फिगर अवधि के लिए, इससे 1 या थोड़े ज्यादा दिन या कम दिनों के लिए FD पर ब्याज दर अलग-अलग होती है। इसलिए FD खुलवाने से पहले FD अवधि और उस पर ब्याज का पता जरूर कर लें। हो सकता है कि राउंड फिगर अवधि के बजाय थोड़े दिन कम या ज्यादा पर कुछ एक्स्ट्रा ब्याज मिल जाए।
रीइन्वेस्टमेंट से जुड़े खतरे
बाजार में अभी ब्याज दर घटने की प्रवृत्ति है। ऐसे में यदि आप एफडी में रीइन्वेस्टमेंट ऑप्शन चुनते हैं, तो वह रकम अपने आप फिर से रीइंवेस्ट हो जाएगी लेकिन, यहां आपको यह ध्यान रखना होगा कि यदि बाजार में ब्याज दर और घट गया तो आपका एफडी पुराने रेट पर नहीं होगा, बल्कि यह घटे हुए ब्याज दर पर ही होगा।