छंटते प्रश्न और बढ़ता राम रथ / EDITORIAL by Rakesh Dubey

Bhopal Samachar
श्री राम जन्मभूमि पर राम का मन्दिर बनाने की सदियों चली यात्रा “साकार” हो रही है। इस यात्रा के मार्ग में बहुत से सवाल और बवाल आये। 1526 से 2020 तक की यात्रा के कई पड़ाव हैं। भारत की न्यायपालिका ने इस यात्रा को साकार में बदलने कीर्ति पत्र पिछले वर्ष 2019 में जिस उद्देश्य से जारी किया था लगभग सब वैसा ही होता नजर आ रहा है। प्रश्न पूछना और उत्तर देना आज के जनतान्त्रिक भारत का तकाजा है। बहुत से उचित–अनुचित प्रश्नों के सवाल-जवाब से पहले सम्पूर्ण यात्रा पर एक दृष्टि :-

1526: इतिहासकारों के मुताबिक, बाबर इब्राहिम लोदी से जंग लड़ने 1526 में भारत आया था। बाबर के सूबेदार मीरबाकी ने 1528 में अयोध्या में मस्जिद बनवाई। बाबर के सम्मान में इसे बाबरी मस्जिद नाम दिया गया। 1853 : अवध के नवाब वाजिद अली शाह के समय पहली बार अयोध्या में साम्प्रदायिक हिंसा भड़की। हिंदू समुदाय ने कहा कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई।

1949 : विवादित स्थल पर सेंट्रल डोम के नीचे रामलला की मूर्ति स्थापित की गई। 1950  : हिंदू महासभा के वकील गोपाल विशारद ने फैजाबाद जिला अदालत में अर्जी दाखिल कर रामलला की मूर्ति की पूजा का अधिकार देने की मांग की। 1951 : निर्मोही अखाड़े ने विवादित स्थल पर मालिकाना हक जताया। 1961 : सुन्नी वक्फ बोर्ड (सेंट्रल) ने मूर्ति स्थापित किए जाने के खिलाफ कोर्ट में अर्जी लगाई और मस्जिद व आसपास की जमीन पर अपना हक जताया। 

1981 : उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने जमीन के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया। 1985 : फैजाबाद की जिला अदालत ने राम चबूतरे पर छतरी लगाने की महंत रघुबीर दास की अर्जी ठुकराई। 1989 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल पर यथास्थिति बरकरार रखने को कहा। 1992 : अयोध्या में विवादित ढांचा ढहा दिया गया।

2020 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित ढांचे वाली जमीन के मालिकाना हक को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। 2010 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2:1 से फैसला दिया और विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बराबर बांट दिया। 2011 : सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। 2016 : सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की इजाजत मांगी। 2018 : सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को लेकर दाखिल विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। 6 अगस्त 2019 : सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर हिंदू और मुस्लिम पक्ष की अपीलों पर सुनवाई शुरू की। 16 अक्टूबर 2019: सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई पूरी हुई।

तीस साल पहले 1990 में "सोमनाथ से अयोध्या जी" की रथयात्रा पर निकले लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था - "यह जो रथ है, लोकरथ है..जनता का रथ है, जो सोमनाथ से चला है और जिसके मन में संकल्प है कि 30 अक्टूबर को अयोध्या जी पहुंच कर कारसेवा करेंगे और मंदिर वहीं बनाएंगे..इसको कौन रोकेगा..?" उनका रथ रुक गया। इस कालावधि में ग्रह-नक्षत्र और विज्ञान ने अपनी गवेषणा की, पुरातत्व ने खुदाई की, कानून से कायदे खोजे, मेल- मुलाकतें हुई और अंत में 9 नवम्बर 2019 को देश के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद चला “राम रथ” अब 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में साकार दिखेगा।

यात्रा के बीते पड़ावों में बहुत से सवाल उठे, बने –बिगड़े, समाज को हिलाया भी, समाज में कभी रार  तो कभी प्यार दिखा। आज भी सवालों की कमी नहीं है उठ रहे हैं, इनके जवाब में अगले भारत की तस्वीर होगी। पत्रकारिता का धर्म महाभारत काल से अब तक हकीकत बयान करने का है। आज के उठते –गिरते सवालों पर निरंतर दृष्टि रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार द्वय श्री महेश श्रीवास्तव और श्री विजय दत्त श्रीधर को उत्तर और समाधान के साथ आपसे रूबरु करने की कोशिश भी होगी। [निरंतर अगला प्रतिदिन] 
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श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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