शासकीय कर्मचारियों के सेवा भर्ती नियमों का स्रोत कौन सा है, संवैधानिक प्रावधान क्या हैं, यहां पढ़िए / EMPLOYEE and LAW

Bhopal Samachar
अमित चतुर्वेदी। कर्मचारियों के सेवा नियम राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा, उनमे संविधान के अनुच्छेद 309 के कारण निहित शक्तियों के क्रियान्वयन में, बनाये जाते हैं। राज्य के मामले में, जब तक कि उपयुक्त विधायिका द्वारा, कर्मचारियों की सेवा को रेगुलेट /विनियमित (सेवा नियम या भर्ती नियम) करने के लिए कोई अधिनियम पारित नही करती है, तब तक, या विधायिका द्वारा बनाये गए कानून की अनुपस्थिति में, संविधान के अनुच्छेद 309 द्वारा राज्य के कर्मचारियों के मामलो में सेवा नियमों या सेवा की शर्तों के विषय में, राज्यपाल को नियम बनाने की शक्तियां प्राप्त है। समान शक्तियाँ, केंद्र में राष्ट्रपति के पास है।

यदि कर्मचारियों की सेवाओं या सेवा नियमों के संबंध ने किसी प्रकार की कोई विधि या क़ानून, ना विधायिका द्वारा, ना ही संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक के अधीन राज्यपाल या राष्ट्रपति द्वारा, निर्मित की गई है या बनायी गई है, उन परिस्थितियों में केंद्र, संविधान के अनुच्छेद 73 के अधीन, एवं राज्य  सरकार, संविधान के अनुच्छेद 162 के आधीन कार्यकारी निर्देश , खाली स्थान भर सकता है। 

यदि भर्ती नियमों कोई कमी रह गई है तो कहां से पूर्ति होगी

सरल शब्दों में, सेवा शर्तों को उपरोक्त आर्टिकल्स के तहत भी बनाया जा सकता है, जो कमी मूल भर्ती नियमों में रह गई है, उन्हें शासकीय निर्देश द्वारा भरा जा सकता है। कार्यकारी निर्देशों में, आदेश, सर्कुलर, प्रस्ताव  आदि आते हैं।

​मध्यप्रदेश में शिक्षाकर्मियों का नियमितीकरण किस कानून के तहत किया गया

उल्लेखनीय है कि, अध्यापक संवर्ग को, राज्य शिक्षा सेवा में नियुक्ति देने हेतु भर्ती नियम,  संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक का प्रयोग कर बनाए गए हैं। तत्पश्चात, शेष सेवा शर्तों को विनियमित करने हेतु, कार्यकारी निर्देश जारी किए गए हैं, यह विभागों या सरकार द्वारा प्रचलित प्रक्रिया है।
लेखक श्री अमित चतुर्वेदी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर में एडवोकेट हैं। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)

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