अमित चतुर्वेदी। अक्सर देखने में आता है, जब किसी मामले में दोषी अधिकारी के खिलाफ जनाक्रोश उपस्थित हो जाता है या फिर अधिकारी द्वारा किए गए अपराध का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगता है तो उसका ट्रांसफर कर दिया जाता है और उसे इस प्रकार प्रचारित किया जाता है जैसे अधिकारी को दंडित कर दिया गया हो। प्रश्न यह है कि क्या दंड स्वरूप किसी भी अधिकारी या कर्मचारी का ट्रांसफर किया जा सकता है।
विधि की दृष्टि में शासकीय सेवक यानी सरकारी कर्मचारी का दंड स्वरूप या दंड के बदले किया गया ट्रांसफर शक्तियों का द्वेषपूर्ण उपयोग समझा जाता है। कारण स्पष्ट है, कर्मचारियों के ऊपर दंड या पनिशमेंट, कथित कदाचरण के परिणामस्वरूप अधिरोपित किया जाता है। यदि, किसी कर्मचारी के ऊपर किसी प्रकार के सेवा कदाचरण के आरोप हैं, उन परिस्थितियों में कर्मचारियों के विरुद्ध, उचित अनुशासनात्मक कार्यवाही अपेक्षित होती है।
कदाचरण के आरोपी कर्मचारी का स्थानांतरण, उचित प्रशासन हेतु उचित नही माना जा सकता है। इसके पीछे कारण यह है कि कदाचरण के आरोपी कर्मचारी द्वारा, नवीन स्थान में, पुनः मिडकंडक्ट किये जाने की संभावना हो सकती है। इसके अलावा, कदाचरण नियमों में, कदाचरण हेतु प्रस्तावित दंड से कर्मचारी बच सकता है, जो कि लोकहित में नही होता है। स्पष्ट है, कदाचरण हेतु, दंड के स्थान में कर्मचारी का स्थानांतरण, विधि विरुद्ध एवं लोकहित के विरुद्ध है। ट्रांसफर, कदाचरण / सेवा नियमों में किसी प्रकार का दंड नही है अपितु, प्रशासनिक आवश्यकता के आधार पर किया जाता है।
लेखक श्री अमित चतुर्वेदी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर में एडवोकेट हैं। (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)