भोपाल। सूबे के सरकारी कॉलेजों में विगत दो दशकों से अपनी सेवाएं देकर प्रदेश की उच्च शिक्षा के कर्णधार रहे अतिथिविद्वान एक बार फिर से चर्चाओं में हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने दिसम्बर 2019 से फालेन आउट होकर बेरोजगार हुए लगभग 1800 अतिथि विद्वानों के लिए चॉइस फिलिंग की प्रक्रिया पुनः प्रारम्भ करने की कवायद शुरू की है। किंतु पेंच यह है कि जितने अतिथिविद्वान फालेन आउट करके बेरोजगार किये गए थे उन सभी की नौकरी बची रहेगी, इसमे अभी संशय है।
अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक व महासंघ के अध्यक्ष डॉ देवराज सिंह ने कहा है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने कैबिनेट निर्णय लेते हुए लगभग 450 नवीन पद स्वीकृत किये थे।किन्तु इन नवीन पदों की आज तक वित्त विभाग से स्वीकृति नही मिल पाई है।जिसके कारण किंतने पदों में चॉइस फिलिंग करवाई जाएगी,इसमें अभी संशय की स्थिति बनी हुई है।यही अतिथि विद्वानों के असंतोष का मुख्य कारण भी है।
8 माह से बेरोजगारी का दंश झेल रहे अतिथि विद्वान 450 पद की स्वीकृति दे वित्त विभाग
अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रवक्ता डॉ मंसूर अली का कहना है कि दिसम्बर 19 से तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लगभग 1800 अतिथिविद्वानों को विवादों में रही सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा के उम्मीदवारों को नियुक्ति देकर बेरोजगार कर दिया था।किन्तु शिवराज सिंह चौहान व भाजपा संगठन के हस्तछेप के चलते अतिथि विद्वानों का मुद्दा विधानसभा के पटल में उछला था।इसी मुद्दे पर हुई कमलनाथ सरकार की किरकिरी के पश्चात कांग्रेस सरकार की प्रदेश की सत्ता से विदाई हो गई थी।अतः भाजपा सरकार का यह नैतिक दायित्व है कि बेरोजगारी का दंश झेल रहे इन अतिथि विद्वानों को पुनः नौकरी प्रदान कर नियमितीकरण की प्रक्रिया अविलंब प्रारम्भ की जाए।
अतिथि विद्वान अपने नियमितीकरण के प्रति कृतसंकल्पित
अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पांडेय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए अतिथि विद्वानों की हरसम्भव सहायता की एवं उनके नियमितीकरण के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को घेरकर विधानसभा के पटल तक उनका मुद्दा उठाया था।किन्तु अब जबकि भाजपा को सत्ता में पुनः काबिज हुए अर्सा बीत चुका है।अतिथि विद्वान पुनः भाजपा से अपने नियमितीकरण की वर्षोँ पुरानी मांग को दोहराकर फालेन आउट अतिथि विद्वानों की जल्द बहाली की मांग कर रहे है।विपक्ष में रहते अतिथि विद्वानों की सबसे बड़ी हितैषी के रूप में सामने आई भाजपा व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का यह नैतिक दायित्व है कि वो सभी फॉलेन आउट अतिथि विद्वानों को अतिशीघ्र सेवा में वापस लें तत्पश्चात अतिथि विद्वान नियमितीकरण की मांग को अविलंब पूरा करें।