क्या आप बता सकते हैं, छत्रपति शाहूजी महाराज, ग्वालियर के महाराजा सिंधिया, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और वडोदरा के राजा सहित दक्षिण भारत एवं महाराष्ट्र के तमाम छोटी-बड़ी रियासतों के राजा महाराजाओं के लिए जो पगड़ी उनके प्राणों से भी प्यारी होती थी, उसे कौन बनाता था। शायद आप जानकर चौक जायेंगे कि महाराष्ट्र के तमाम राजाओं की पगड़ी मध्य प्रदेश के चंदेरी में बनाई जाती थी। राजाओं का विशेष दस्ता उनकी पगड़ी लेने के लिए आता था और बड़े ही गोपनीय तरीके से सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था के बीच पकड़ी चंदेरी से संबंधित राजा के महल तक पहुंचाई जाती थी। जिस प्रकार चंदेरी की साड़ी दुनिया भर में प्रसिद्ध है उसी प्रकार चंदेरी की पगड़ी भी 800 सालों से भारत के तमाम राज्य परिवारों में आकर्षण का केंद्र रही है।
चंदेरी में 800 सालों से बन रही है शाही पगड़ियां
गुना के पत्रकार श्री अरविंद शर्मा बताते हैं कि सिंधिया, पुणे, होल्कर और महाराष्ट्र की छोटी-बड़ी कई रियासतों के राजा-महाराजा मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक नगरी चंदेरी में बनाई गईं पगड़ियां पहनते थे। चंदेरी में शाही पगड़ी बनाने की शुरूआत करीब 800 साल पहले हुई थी और आजादी के इतने सालों बाद भी चंदेरी में शाही पगड़ियां बनाई जातीं हैं।
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई भी चंदेरी की पगड़ी पहनतीं थीं
सबसे अहम बात यह कि वीरागंना लक्ष्मीबाई अपनी एक सहेली को चंदेरी भेजकर शाही पगड़ी मंगाती थीं। जब उन्होंने अंग्रेजों से युद्ध लड़ा और जब वो शहीद हुईं तब भी उनके सिर पर चंदेरी की ही पगड़ी थी जो वीरांगना लक्ष्मीबाई के मस्तक को सुशोभित कर रही थी।
महाराष्ट्र के शाही परिवार आज भी चंदेरी से ही शाही पगड़ी मंगवाते हैं
चंदेरी साड़ी के कारोबारी जय किशोर चतुर्वेदी बताते हैं कि ऐतिहासिक काल से राजा और महाराजा चंदेरी के बुनकरों द्वारा बनाई शाही पगड़ी पहनते आए हैं। आज भी होल्कर, सिंधिया, महाराष्ट्र की छोटी और बड़ी रियासतों के राजा-महाराजा चंदेरी से शाही पगड़ी खरीदते हैं। श्री चतुर्वेदी का कहना है कि छत्रपति शाहू महाराज, सिंधिया राजवंश, बड़ौदरा, थरडेकर सरकार, अकलूज राजवंश के परिवार आज भी चंदेरी में बनी पगड़ी पहनते हैं।