सावन का महीना खत्म हो चुका है और बारिश का मौसम पूरी तरह से अपना असर दिखाने लगा है। कोरोनावायरस के संक्रमण के कारण लोग बाजार के खाने से थोड़ा परहेज कर रहे हैं परंतु फूड प्वाइजनिंग का खतरा फिर भी बना हुआ है क्योंकि लोग अपने घरों पर काफी मसालेदार भोजन बनाकर खा रहे हैं, वह भी तब जबकि कोविड-19 के कारण मॉर्निंग वॉक और दूसरी फिजिकल एक्सरसाइज लगभग बंद ही हैं।
फूड पॉइजनिंग से बचने के लिए क्या सावधानियां रखें
फूड पॉइजनिंग को गैस्ट्रोएंट्राइटिस के नाम से भी जाना जाता है। बारिश के मौसम में यह सबसे ज्यादा परेशान करती है। आज हम आपको फूड पॉइजनिंग के लक्षण और उपचार भी बताएंगे।
ज्यादा तेल-मसाले और नॅानवेज भोजन के सेवन से परहेज करें।
घर में साफ- सफाई का विशेष ध्यान रखें
साफ और स्वच्छ पानी का सेवन करें।
फलों और सलाद को काटकर ज्यादा समय के लिए न छोड़े। ऐसा करने से उनमें बैक्टीरिया पनप सकते हैं। बेहतर है कि आप जिस समय फल और सलाद का सेवन करें उसी समय फल और सलाद को काटें।
फूड पॉइजनिंग का घरेलू इलाज
फूड प्वाइजनिंग एक ऐसी बीमारी है जिसका पता मरीज को सबसे पहले लगता है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि फूड प्वाइजनिंग की स्थिति में किसी भी प्रकार की दवाई लेकर लाइफ को रेगुलर नहीं किया जा सकता। परहेज ही फूड प्वाइजनिंग का सबसे अच्छा इलाज है।
सबसे पहले मसालेदार भोजन पूरी तरह से बंद कर दें।
जितना पॉसिबल हो लिक्विड डाइट शुरू कर दे।
सादा पानी की जगह पानी में ORS मिलाकर पिए।
आमतौर पर 24 घंटे में पेट साफ हो जाता है और उसके साथ पेट में मौजूद पोइजन भी खत्म हो जाता है।
लेकिन यदि ऐसा ना हो तो इस प्रक्रिया को 48 घंटे तक चलने दे।
यदि कमजोरी यानी वीकनेस फील हो रही हो तो तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।
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यदि 5 साल से कम उम्र के बच्चे फूड प्वाइजनिंग का शिकार हो रहे हैं तो हम किसी भी प्रकार के घरेलू प्रयोग की सलाह नहीं देंगे। बेहतर होगा तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें। इस पोस्ट में बताए गए तरीके चटपटे एवं मसालेदार अथवा बासी भोजन से होने वाली फूड प्वाइजनिंग से बचाव के तरीके है।
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गर्भावस्था में पौष्टिक भोजन अनिवार्य होता है। धार्मिक ग्रंथों में एवं मेडिकल साइंस गर्भवती महिलाओं को किसी भी स्थिति में भूखे रहने की सलाह नहीं दी गई है। अतः यदि किसी भी कारण से गर्भवती महिलाएं फूड प्वाइजनिंग का शिकार होती हैं तो उन्हें अपने नियमित डॉक्टर से मिलकर सलाह लेनी चाहिए।