दुनिया भर के राधा-कृष्ण मंदिरों में भगवान श्री कृष्ण एवं राधा जी की मनमोहक प्रतिमाओं के दर्शन होते हैं। राधा-कृष्ण मंदिरों की प्रतिष्ठा उनकी प्रतिमाओं में ही निहित होती है। भक्तगण अपने प्रभु राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं का सौंदर्य निहारने के लिए मंदिरों में आते हैं परंतु इंदौर शहर में एक ऐसा मंदिर है जो लोकप्रिय तो श्री राधा-कृष्ण मंदिर के नाम से है परंतु उसके अंदर कुरान और पुराण विराजित हैं।
इंदौर का एक मंदिर जहां राधा कृष्ण की जगह ग्रंथों की पूजा होती है
शहर के गोराकुंड चौराहा पर 100 साल पुराना प्रणामी संप्रदाय का राधा-कृष्ण मंदिर स्थित है। यह मंदिर अन्य मंदिरों से अलग इसलिए है क्योंकि यहां पर राधा-कृष्ण की कोई मूर्ति नहीं है। इस अनूठे मंदिर में 400 साल पहले लिखे गए ग्रंथों की पूजा होती है। यहां भक्तों के लिए ग्रंथ ही भगवान का स्वरूप हैं।
मंदिर में प्राचीन ग्रंथों को श्री राधा-कृष्ण का रूप दिया गया है
यहां जिन ग्रंथों की पूजा होती है उनमें एक श्रीमद्भागवत गीता और दूसरा तारतम वाणी शामिल है। जानकारों के अनुसार तारतम वाणी में वेद, पुराण, श्रीमद् भागवत और कुरान आदि का सार समाहित है। मंदिर में विराजित ग्रंथ कुरान और पुराण दोनों को समान बताते हैं। इन ग्रंथों को राधा-कृष्ण का स्वरूप देकर चांदी के सिंहासन पर विराजित किया गया है। इन ग्रंथों को इस तरह से विराजित किया गया है कि पहली नजर में यह पता ही नहीं चलता है कि यहां भगवान की मूर्तियां नहीं है बल्कि ग्रंथ है।
1920 में बना था मंदिर, प्रसाद में पान चढ़ाया जाता है
मंदिर के पुजारी के अनुसार, 1920 में इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। इस मंदिर का संचालन सेठ बखतराम बच्चाराम भंडारी प्राणनाथ संस्था द्वारा किया जा रहा है। यहां रोज दिन में 5 बार पूजा होती है और प्रसाद में पान का उपयोग किया जाता है।
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