इंदौर। देश-विदेश में भगवान कृष्ण के हजारों मंदिर है, लेकिन कान्हा को अपनी ममता की छाया में समेटने वाली यशोदा मैया के पूरे विश्व में दो-तीन मंदिर ही होंगे जिसमें से एक इंदौर का है। राजबाड़ा के पास स्थित यह मंदिर 223 साल पुराना है। हर साल जन्माष्टमी पर यहां गोेद भराई रस्म के लिए महिलाओं की भारी भीड़ उमड़ती है। लेकिन इस बार कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते यहां गोद भराई नहीं कराई जा रही है, वहीं दर्शन के लिए भी काफी कम संख्या में भक्तों को प्रवेश दिया जा रहा है।
मान्यता है कि यहां चावल, नारियल और मिश्री से यशोदा माता की गोद भरने वाली महिलाओं को संतान सुख की प्राप्ती होती है। जन्माष्टमी पर कई महिलाएं यहां गोद भराई के लिए आती है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार यहां गोद भराने विदेशों से भी महिलाएं आती है।आज सुबह यशोदा माता व राधा-कृष्ण का अभिषेक कर नई पोषाक पहनाई गई और आकर्षक श्रृंगार किया गया। आज रात 12 बजे होने वाली महाआरती में भी भक्तों का प्रवेश निषेध है।
मंदिर के पुजारी महेंद्र दीक्षित के दादा के परदादा ने इस मंदिर की स्थापना की थी। वे बताते हैं कि मंदिर बनाने की प्रेरणा दादा के परदादा की माताजी ने दी थी। उन्होंने कहा था कि कन्हैया को तो सारा संसार पूजता है लेकिन उनको पालने पोसने वाली यशोदा माता को सब भूल गए है। इसके बाद ही यशोदा माता का मंदिर बनाने का संकल्प लिया गया। यशोदा माता की मूर्ति को जयपुर में बनवाया गया था। इंदौर से बैलगाड़ी लेकर परदादा जयपुर गए और मूर्ति लेकर आए थे। यहां यशोदा मैया के अलावा नंद बाबा और राधा कृष्ण की प्रतिमाएं भी है। खास बात यह है कि नंद बाबा की मूर्ति से बड़ी मूर्ति यशोदा माता की है। इसके अलावा दाई मां की मूर्ति भी यहां स्थापित है।