जबलपुर। नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में इलाज के कथित अभाव में मर गए श्री राजकुमार जैन के परिवार के लोगों का आरोप है कि जूनियर डॉक्टरों ने समय पर इलाज शुरू नहीं किया और जब हमने आपत्ति उठाई तो वार्ड में दरवाजे और लाइट बंद करके हमें बेरहमी से पीटा गया। चौंकाने वाली बात यह है कि घटना के बावजूद जबलपुर पुलिस चाहती है कि पीड़ित पक्ष FIR दर्ज ना करवाए, क्योंकि यदि ऐसा हुआ तो जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले जाएंगे।
पीड़ितों को चुप रहने के लिए एसपी ने बुलवाया, एडिशनल एसपी ने समझाया
जूनियर डॉक्टरों का दबदबा देखिए, पीड़ितों को चुप रहने के लिए सरेआम कहा जा है। सोमवार को एसपी ने पीड़ित परिवार को बुलवाया। एडिशनल एसपी ने परिवार के लोगों को FIR ना करने के लिए समझाया लेकिन पीड़ित परिवार न्याय की मांग करता रहा। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ. संजीव उइके से चर्चा उपरांत उन्होंने एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा से बातचीत की। पुलिस अधीक्षक कार्यालय में दो घंटे चली बातचीत के बाद गढ़ा पुलिस की मौजूदगी में चार घायल पवन जैन, अमित जैन, राजेश जैन, राजेश प्रिंसी का मुलाहजा विक्टोरिया अस्पताल में कराया गया।
पीड़ित परिवार के अनुसार घटना का विवरण
संगम कॉलोनी निवासी राजकुमार जैन (70) को विगत दिवस फेफड़ों में संक्रमण व निमोनिया की शिकायत होने पर मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कोविड-19 सस्पेक्टेड वार्ड में भर्ती कराया गया था। कोरोना की रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें मेडिसिन वार्ड में भर्ती कराया गया जहां कुछ देर बाद उनकी मौत हो गई थी। एसपी से मुलाकात के दौरान पवन जैन, राजेश जैन, अंकित जैन, राजेश प्रिंसी, राजू जैन, मुनीम जैन ने आरोप लगाया कि समय से ऑक्सीजन न लगाए जाने के कारण मरीज की मौत हुई थी। जिसका विरोध करने पर जूनियर डॉक्टरों ने पूरे परिवार को को वार्ड में बंद कर वहां अंधेरा कर उनके साथ बेरहमी से मारपीट की थी।
हड़ताल के नाम पर ब्लैकमेल कर रहे हैं जूनियर डॉक्टर
इधर, कहा जा रहा है कि जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने मारपीट के प्रकरण में FIR होने पर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। कोरोना संक्रमण काल में उनके हड़ताल पर चले जाने से न सिर्फ मेडिकल बल्कि समूचे जिले में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। मेडिकल प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद जूनियर डॉक्टरों ने इस शर्त पर हड़ताल न करने का आश्वासन दिया है कि उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज न की जाए।
पीड़ित परिवार के पास कितने विकल्प
एडवोकेट श्री शैलेंद्र चौधरी के अनुसार यदि जबलपुर पुलिस प्रकरण दर्ज नहीं करती है तो पीड़ित परिवार न्यायालय में इस्तगासा पेश कर सकता है। न्यायालय ने यह आदेश दिया तो पुलिस को ना केवल मामला दर्ज करना पड़ेगा बल्कि नियमानुसार आरोपित डॉक्टरों को गिरफ्तार करके पेश किया जाएगा। इसके अलावा पीड़ित परिवार इंडियन मेडिकल एसोसिएशन में आरोपित डॉक्टरों के खिलाफ शिकायत कर सकती है। शिकायत सही पाए जाने पर आरोपित डॉक्टरों की प्रैक्टिस पर प्रतिबंध लग जाएगा। उनकी डिग्री रोकी जा सकती है। दोनों विकल्प (कोर्ट एवं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) ऐसे हैं जो हड़ताल की धमकी से दबाव में नहीं आएंगे।
इनका कहना हैः
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में गत दिवस हुई घटना में मरीज की मौत को लेकर डेथ ऑडिट के निर्देश दिए गए हैं। यह पता लगाया जाएगा कि मरीज की मौत किन परिस्थितियों में हुई थी।
-डॉ. प्रदीप कसार, डीन
मेडिकल कॉलेज अस्पताल