भोपाल। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्मचारी संघ की ओर से जारी प्रेस रिलीज के अनुसार शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंतित श्रीमान गोपाल जी भार्गव मंत्री मप्र शासन एवं श्रीमान अजयजी विश्नोई माननीय विधायक विधानसभा क्षेत्र पाटन(जबलपुर) द्वारा ऐसी प्रतिक्रिया अपनी ही सरकार पर सवाल खड़े कर रही है। इसी दल की सरकार ने पिछले दो दशकों में तीन बार "हजारों प्रशिक्षित व योग्य शिक्षकों" की भर्ती तमाम शासकीय प्रक्रियाओं को पूर्ण कर की गई थी।
माननीयों को यह स्पष्ट करना चाहिए कि शिक्षा व्यवस्था एक दिन में तो चौपट नहीं हुई, फिर अपने चौथे कार्यकाल में अचानक शिक्षा के प्रति माननीयों के घड़ियाली आंसू शिक्षकों को बदनाम करने का कुत्सित प्रयास है। षड़यंत्र के तहत निजीकरण को बढ़ावा देना इनका एक सूत्रीय अभियान लगता है। नई शिक्षा नीति को लागू करने में प्रधानमंत्री जी को प्रेषित पत्र में माननीय अजय विश्नोई विधायक ने अपना पक्ष रखते हुए विरोधाभासी विचार रखे है।
मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के प्रांताध्यक्ष श्री प्रमोद तिवारी, उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार, सचिव जगमोहन गुप्ता ने कहा कि विडंबना देखिए शिक्षा के स्तर के लिए माननीय ने एक तरफ तो कहा है कि अधिकांश शिक्षक शिक्षा के प्रति गंभीर नहीं है, यह तत्थ्य हीन आरोप है। सार्वजनिक सत्य है कि तमाम शासकीय अवरोधों एवं दर्जनों गैर शिक्षकीय कार्य व बुनियादी आवश्यकताओं के अभाव के बावजूद हाल ही में घोषित व विगत कई वर्षों से शासकीय विद्यालयों के बेहतर बोर्ड परीक्षा परिणाम को माननीय शायद देख नहीं पाये या अनदेखा किया है। पत्र में अतिथि शिक्षकों का जिक्र किया है, इससे व्यवस्थागत खामियां उजागर हुई है। क्यों स्थायी भर्ती की गई? विगत लंबे समय से वर्तमान दल ही सत्ता संभाले है। ऐसे में अपनी ही सरकार पर अंगुली उठाकर बुनियादी व व्यवस्थागत खामियां उजागर करना स्वागतयोग्य व हिम्मत वाला कदम है!
शिक्षकों को दर्जनों गैर शिक्षकीय कार्य में कोल्हू के बैल की तरह जोता जाता है। मंत्री व विधायक शिक्षकों की कार्यप्रणाली पर प्रश्न खड़ा कर रहे है। लगता है दोनों माननीय शिक्षा की तमाम बारीकियों से वाकिफ है या शिक्षाविदों से ये विशेष प्रशिक्षण प्राप्त है! किसी को शिक्षकों के वेतन-भत्तों से पेट में दर्द है तो किसी को इनकी काबिलियत पर भरोसा नहीं! शिक्षकों को एक अभियान के तहत वर्ष में एक दिन "पांच सितंबर" को "राष्ट्र निर्माता" व शेष तीन सौ चौंसठ दिन कोसते हुए अपमानित करते रहना इनका शगल बन गया है।
"मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ" श्रीमान शिवराजसिंह जी चौहान माननीय मुख्यमंत्री जी से मांग करता है कि माननीयों के बिगड़े बोल से शिक्षकों में भारी आक्रोश व नाराजगी व्याप्त है जो चिंताजनक है। कुपित शिक्षकों की नाराजगी समय रहते दूर किया जाकर माननीयों को सख्त हिदायत की दरकार है।
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