भोपाल। मध्य प्रदेश की सहकारिता में एक बार फिर पॉलिटिक्स का पावर प्ले दिखाई देगा। समर्थकों की बड़ी संख्या के साथ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण पद और दावेदारों का संतुलन बिगड़ गया है।
इसे बनाए रखने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कैबिनेट की मीटिंग में मध्य प्रदेश के सहकारिता अधिनियम को संशोधित करने के लिए मंजूरी दे दी है। संशोधन के बाद विधायक एवं सांसदों को सहकारी समितियों एवं सहकारी बैंकों का चेयरमैन बनाया जा सकेगा। यह पद राज्यमंत्री के समकक्ष माना जाएगा।
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए गृह, जेल, संसदीय कार्य, विधि एवं विधायी मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि विधायक और सांसदों को अब सहकारी संस्था के चुनाव लड़ने की पात्रता होगी। प्रशासकीय समिति में तीन अशासकीय सदस्य रहेंगे। इसके लिए पहले विधानसभा के मानसून सत्र में संशोधन विधेयक लाया जा रहा था लेकिन कोरोना के संक्रमण की स्थिति को देखते हुए सर्वसम्मति से सत्र को स्थगित रखने का निर्णय लिया गया। अब अध्यादेश को अनुमति के लिए राज्यपाल को भेजा जाएगा और उनकी मंजूरी मिलते ही इसे लागू कर दिया जाएगा।