भोपाल। मध्य प्रदेश के जिला छिंदवाड़ा में स्थित पांढुर्ना तहसील क्षेत्र में आयोजित होने वाले विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेले का आयोजन हर साल की तरह इस साल भी हुआ। कोरोना संक्रमण के कारण सरकार ने धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध लगा रखे हैं, लोगों को रोकने के लिए 500 पुलिस कर्मचारी तैनात किए गए थे परंतु उज्जैन में ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए प्रतिबंध नजरअंदाज किए गए तो छिंदवाड़ा में ग्रामीण तमाम प्रतिबंधित तोड़कर गोटमार मेले में भारी संख्या में शामिल हुए।
कोरोना महामारी के चलते आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में गोटमार नहीं मनाने का निर्णय लिया गया था, जो पूरी तरह विफल हो चुका है। सावरगांव पक्ष ने झंडा बांधकर कर पूजा की पूरी तैयारियां कर ली हैं। लोग बड़ी तादाद में जाम नदी पर पहुंच चुके हैं। ग्रामीणों को रोकने के लिए 500 से अधिक पुलिस कर्मचारी तैनात किए गए थे परंतु ग्रामीणों की भीड़ के सामने पुलिस की भारी-भरकम फौज कमजोर पड़ गई है। ग्रामीणों ने परंपरा अनुसार जमकर पत्थर बरसाए।
क्या होता है गोटमार मेला
गोटमार मेले की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस मेले का आयोजन पांढुर्णा और सावरगांव के बीच बहने वाली जाम नदी पर किया जाता है। देवी का झंडा गाड़ने के बाद दोनों गांव के लोग एक दूसर पर पत्थर फेंकते हैं। जिसमें कई लोग घायल हो जाते हैं। मेला देखने हर साल जिले के बाहर से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं।
इंदौर-उज्जैन में ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए प्रतिबंध तोड़े गए थे
दिनांक 17 अगस्त 2020 को भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के आगमन के अवसर पर इंदौर एवं उज्जैन शहर में कोरोनावायरस का संक्रमण रोकने के लिए मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह सरकार द्वारा लगाए गए कड़े प्रतिबंधों को बड़ी ही सरलता के साथ तोड़ दिया गया था। ना केवल सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन हुआ बल्कि फेस मास्क और सैनिटाइजेशन का भी ध्यान नहीं रखा गया। यहां तक की जांच के लिए सैंपल देने के बाद कैबिनेट मंत्री मोहन यादव होम क्वॉरेंटाइन होने के बजाय पूरे कार्यक्रम में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ मौजूद रहे।