UPSC- यूनियन पब्लिक सर्विस कमिशन द्वारा आयोजित सिविल सर्विस एग्जाम पास करना भारत के लगभग सभी टैलेंटेड स्टूडेंट्स का सपना होता है। टॉपर्स की ट्रिक्स और लाइफ लेसन हमेशा काम आते हैं। मोटिवेशन के लिए स्टूडेंट्स अक्सर पढ़ते हैं कि टॉपर्स ने किन परिस्थितियों में और कितने घंटे पढ़ाई की। किस सब्जेक्ट को पहले पढ़ा और किसे बाद में लेकिन आज अपुन यह बात करेंगे कि UPSC-2020 कैसे क्लियर किया जाए:-
यूपीएससी में कौन सा माध्यम चुने, फार्मूला समझिए
IPS सूरज सिंह परिहार का कहना है कि 2012-13 के बाद से बहुत से लोग #UPSC में माध्यम को लेकर असमंजस में हैं। लगातार मार्गदर्शन हेतु मैसेज करते हैं। लाग लपेट नहीं करूंगा, बेबाक़ी से अनुभवजनित फार्मूला बता देता हूं, याद कर लीजिए, निर्णय आसान हो जाएगा। हिंदी माध्यम+विलक्षणता+नसीब= फ़िरंग माध्यम+औसत से ऊपर+गट फ़ीलिंग।
घंटा किसी को अपने रिज़ल्ट का कुछ पता नहीं होता
इस ट्वीट से पहले 5 अगस्त को भी सूरज सिंह परिहार ने यूपीएससी चयन को लेकर एक ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने लिखा, 'UPSC चयन के बाद लोग काफ़ी ज्ञानी हो जाते हैं, लेकिन मुझे उपलब्ध 6 प्रयासों (Gen) में 4 बार अपियर होके, 3 इंटरव्यू देके और 2 बार चयन लेकर इस नतीजे पर हूं- रिज़ल्ट आने तक पहली से लेके आख़िरी रैंक तक घंटा किसी को अपने रिज़ल्ट का कुछ पता नहीं होता।
सूरज सिंह परिहार आईपीएस की कहानी
आईपीएस सूरज सिंह परिहार का जन्म उत्तर प्रदेश में जौनपुर के एक छोटे से गांव में हुआ। उन्होंने 2011 में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी, लेकिन सफलता नहीं मिली। फिर 2012 में उन्होंने दोबारा प्रयास किया, इस बार भी वो मेन्स परीक्षा से आगे नहीं बढ़ सके। तीसरे प्रयास में उन्हें भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी बनने में सफलता मिली, लेकिन सूरज का लक्ष्य आईआरएस नहीं, आईपीएस बनना ही था। सूरज ने 2015 में एक बार फिर यानी चौथी बार यूपीएससी की परीक्षा दी और इस बार वो अपना लक्ष्य हासिल करने में सफल रहे।
मोरल ऑफ द स्टोरी यह है कि स्टडी सबको करो लेकिन डिसीजन अपने हिसाब से लोग। क्योंकि ना तो आप किसी की कार्बन कॉपी है और ना कोई और आप की कार्बन कॉपी होगा। आपकी पर्सनालिटी, परिस्थितियां, टैलेंट, नॉलेज और कॉन्फिडेंस आपकी निजी पहचान है। यही आप का रिजल्ट फिक्स करने वाले हैं।