उमेशचन्द्र तिवारी/रीवा। परीक्षा किसी भी तरह की हो परीक्षा देने वाले के मन में तनाव और शरीर में सिहरन पैदा कर देती है। लेकिन कई ऐसे निडर व्यक्ति हैं जो हर परीक्षा के लिये तैयार रहते हैं। ऐसे ही प्रतिभाशाली दिव्यांग विद्यार्थी रीवा जिले के कृष्ण कुमार केवट हैं। बोर्ड परीक्षाओं में जो सफलता हाथ से लिखने वाले विद्यार्थियों को मिलना कठिन होती है वह सफलता कृष्ण कुमार ने पैरौं से लिखकर प्राप्त की है। कृष्ण कुमार को 12वीं की बोर्ड परीक्षा में कला समूह में 82.8 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 12वीं के छात्र कृष्ण कुमार केवट को सलाम किया
जन्म से ही दोनों हाथों से लाचार कृष्ण कुमार ने पैरों से लिखकर यह सफलता प्राप्त की है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भी उनके इस जज्बे को सलाम किया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से 25 सितम्बर को प्रदेश के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को लैपटाप के लिये 25 हजार रूपये की प्रोत्साहन राशि प्रदान की। मुख्यमंत्री ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग से कई विद्यार्थियों से संवाद किया। कृष्ण कुमार केवट से संवाद करते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अपनी जिद और जुनून से कृष्ण कुमार ने इतिहास रच दिया है। आपने पैरों से लिखकर 82 प्रतिशत अंक प्राप्त किये हैं।
कल तक पिता फीस नहीं भर पा रहे थे, आज सरकार सारा खर्चा उठाने को तैयार
प्रतिदिन 10 किलोमीटर की यात्रा करके गरीब परिवार का यह होनहार छात्र नियमित रूप से स्कूल जाता रहा। अपनी लगन और मेहनत से इसने जो सफलता प्राप्त की है उसे विरले ही प्राप्त कर पाते हैं। इनकी पढ़ाई का पूरा खर्च सरकार उठायेगी। कमिश्नर रीवा छात्र कृष्ण कुमार केवट के स्वास्थ्य की जांच करा लें। इनके हाथों के उपचार तथा कृत्रिम हाथ लगाने के लिये पूरी व्यवस्था करें। इसके लिये भी पूरी राशि सरकार द्वारा दी जायेगी। कृष्ण कुमार जैसे बच्चों की सफलता पूरे प्रदेश ही नहीं देश के लिये गर्व की बात है।
कृष्ण कुमार केवट आईएएस अधिकारी बनना चाहता है
मुख्यमंत्री को कृष्ण कुमार ने बताया कि उनके ग्राम हर्रई मुंडहान से उनका स्कूल 10 किलोमीटर दूर है। पिता रामजस केवट तथा भाई मजदूरी करके परिवार की आजीविका चला रहे हैं। अपनी शिक्षा पूरी करके मैं आईएएस अधिकारी बनना चाहता हूं। मुख्यमंत्री ने कृष्ण कुमार को हर संभव सहायता देने की बात कही।
MORAL OF THE STORY
मोरल ऑफ द स्टोरी यह है कि यदि कोई इस बात पर फोकस किए बिना कि उसके पास क्या है और क्या नहीं है, अपना टारगेट सेट करके आगे बढ़ता है तो सक्सेस 100% श्योर हो जाती है। श्री कृष्ण कुमार का फोकस पढ़ाई के बजाए अपनी गरीबी और दिव्यांगता की तरफ चला जाता है तो वह 82.8% तक कभी नहीं पहुंच पाता। 12वीं पास करने के बाद जब कृष्ण कुमार से पूछा था कि क्या बनना चाहते हो तो उसका उत्तर था "क्लर्क" कल जब मुख्यमंत्री ने सम्मान समारोह में कृष्ण कुमार से पूछा कि बड़े होकर क्या बनना चाहते हो तो उसका उत्तर था "आईएएस।" (लाइफ के टारगेट खुद सेट किए जाते हैं, पेरेंट्स और टीचर से हेल्प लेते हैं, पढ़ाई करके उन पर एहसान नहीं करते।)