भोपाल। लगभग हर रोज कोई ना कोई मामला सामने आ जाता है जिसमें डॉक्टर की लापरवाही प्रमाणित होती हुई नजर आती है परंतु उसके साथ ही दिखाई देती है लाचार सरकार, जो मामले की जांच कराने का आश्वासन तो देती है परंतु डॉक्टर के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पाती। यहां तक की डॉक्टर की गलती के कारण मृत मरीज के हंगामा करते परिजनों को गिरफ्तार कर लिया जाता है लेकिन डॉक्टर को सस्पेंड नहीं किया था। इसका सबसे बड़ा कारण है मध्य प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की भारी कमी।
यह शिवराज सिंह सरकार का सबसे बड़ा फेलियर है
अपनी जनता को निशुल्क चिकित्सा और शिक्षा उपलब्ध कराना किसी भी सरकार की सबसे पहली जिम्मेदारी है। यदि वह ऐसा नहीं कर पा रही है तो उस सरकार को असफल सरकार कहा जाना चाहिए। शिवराज सिंह सरकार का सबसे बड़ा फेलियर यही है। जिस राज्य में मेडिकल कॉलेज की एक सीट पाने के लिए 10000000 रुपए रिश्वत दी जा रही थी उसी राज्य में सरकारी अस्पतालों में आवश्यकता का 10% डॉक्टर भी उपलब्ध नहीं है।
15000 डॉक्टरों की जरूरत, 9000 स्वीकृत पद इनमें से भी 5000 रिक्त
मध्यप्रदेश के सरकारी अस्पतालों में व्यावहारिक तौर पर 15000 डॉक्टरों की जरूरत है। वर्षों पहले जब आबादी कम थी तब 9000 पद स्वीकृत किए गए थे। आप जानकर चौंक जाएंगे की शिवराज सिंह सरकार ने गरीब नागरिकों की जान बचाने वाले डॉक्टरों की भर्ती नहीं की। एक के बाद एक डॉक्टर रिटायर होते चले गए और कुर्सियां खाली रह गई। आज सरकारी अस्पतालों में मात्र 4000 डॉक्टर काम कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में यदि डॉक्टर खुद को भगवान समझ रहे हैं, मरीजों का इलाज नहीं करते और परिजनों को अपमानित करते हैं तो ऐसा करने का अवसर सरकार ने उन्हें उपलब्ध कराया है।