भारत सरकार के बिजली मंत्रालय ने बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020 का मसौदा तैयार करके ऑनलाइन अपलोड कर दिया है। जागरूक नागरिकों से उम्मीद की गई है कि वह इस मसौदे का अध्ययन करेंगे एवं समीक्षा के बाद अपने सुझाव मंत्रालय तक पहुंचाएंगे। विशेषज्ञ एवं आम नागरिक 30 सितंबर 2020 तक सुझाव दे सकते हैं।
बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020 के तहत उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान होगा
बिजली मंत्रालय ने कहा कि ग्राहकों के हित में ऐतिहासिक कदम उठाते हुए बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020 मसौदा जारी किया गया है। इस पहल का मकसद ग्राहकों को बेहतर सेवाएं और सुविधाएं उपलब्ध कराना है। मंत्रालय के अनुसार बिजली क्षेत्र में उपभोक्ता सबसे महत्वपूर्ण पक्ष हैं और इस सेक्टर का अस्तित्व उन्हीं पर निर्भर है। ऐसे में सभी नागरिकों को बिजली प्रदान करना और ग्राहकों की संतुष्टि पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। उपभोक्ताओं की शिकायतों का सहज समाधान हो, इसके लिए मसौदा नियम में सब-डिवीजन से लेकर विभिन्न स्तरों पर शिकायत निवारण मंच के गठन का प्रस्ताव किया गया है।
बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020 की खास बातें
बिजली वितरण कंपनियों द्वारा सेवा में देरी के लिए मुआवजा या दंड का प्रावधान करना भी इस मसौदे का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है। यानी अगर वितरण कंपनियां बिजली ठीक करने या समस्या के समाधान में देरी करती हैं, तो उन्हें संबंधित ग्राहक को मुआवजा देना होगा। मसौदा नियमों में बिजली आपूर्तिं में बाधा, नए कनेक्शन, क्षमता बढ़वाने जैसी सेवाओं के लिए 24 घंटे टोल-फ्री कॉल सेंटर, वेब-आधारित सहायता और मोबाइल एप्लीकेशन संबंधित प्रावधान हैं। इन सब के लिए SMS और ई-मेल अलर्ट सुविधा, ऑनलाइन स्टेटस ट्रैकिंग और स्वचालित प्रक्रिया की व्यवस्था का प्रस्ताव किया गया है।
मसौदा नियम में नए कनेक्शन को लेकर समय निर्धारित करने के साथ प्रक्रिया सरल बनाई गई है। इसके तहत 10 किलोवाट भार तक के बिजली कनेक्शन के लिए केवल दो दस्तावेज और कनेक्शन देने में तेजी लाने के लिए 150 किलोवाट तक भार के लिए कोई अनुमानित मांग शुल्क नहीं लगाने के प्रस्ताव किए गए हैं। इसमें कनेक्शन देने के लिए समय अवधि भी निर्धारित की गई है। नया कनेक्शन देने और मौजूदा कनेक्शन को संशोधित करने की समय अवधि मेट्रो शहरों में अधिकतम सात, अन्य नगरपालिका क्षेत्रों में 15 तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 30 दिनों से ज्यादा नहीं होगी। ग्राहक नकद, चेक, डेबिट कार्ड या नेट बैंकिंग के माध्यम से भुगतान कर सकेंगे। लेकिन 1,000 रुपये या इससे अधिक रकम का भुगतान केवल ऑनलाइन माध्यम से होगा।