ग्वालियर। दिनांक 6 दिसंबर 1992 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में 30 सितंबर को फैसला आने वाला है। ग्वालियर के हिंदू नेता जय भान सिंह पवैया घटना के समय बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। इसी कारण मामले में आरोपी भी हैं। ग्वालियर में इन दिनों जबकि उप चुनाव के प्रचार का जोर है भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता होने के कारण सभी लोग कयास लगा रहे हैं कि जयभान सिंह पवैया लखनऊ से लौटकर ग्वालियर आएंगे या जेल जाएंगे।
जेल गया तो राम नाम जपूंगा, बाहर रहा तो राम काज करूंगा: जय भान सिंह पवैया
इस सवाल के जवाब में जय भान सिंह पवैया का एक बयान सामने आया है। श्री पवैया ने कहा कि रामकाज करने का सौभाग्य जीवन में कभी-कभी और किसी-किसी को ही मिलता है। मैं 29 सितंबर की सुबह लोटा, लंगोटी साथ लेकर लखनऊ जा रहा हूं। जेल के भीतर रहे तो रामजी का नाम जपूंगा, सलाखों के बाहर रहा तो बचा हुआ जीवन राम और राष्ट्र के नाम है। यह मेरे लिए लज्जा का नहीं गौरव की बात है। कितने जीवन न्यौछावर हुए, कितनों ने खून तो कितनों ने पसीना बहाया है तब मंदिर निर्माण होते आंखों से देख पा रहा हूं।
आरोपी हिंदू नेताओं पर आतंकवादी हमला हो सकता है: जय भान सिंह पवैया
पवैया ने कहा कि राममंदिर विरोधी कुछ ताकतें और आंतकवादी गुटों की निगाहें इस फैसले पर लगी हैं। गुप्तचर विभाग को इन लोगों की बौखलाहट और हरकत करने की तैयारियों के संकेत मिल रहे हैं। प्रमुख नेताओं और संतों को पूरी तरह सुरक्षा कवच देने की तैयारियां सरकार ने की है। उप्र पुलिस मुख्यालय ऐसे संवेदनशील नेताओं व संतों के पहुंचने के मांर्गो की जानकारी जुटा रहा है।
अयोध्या में विवादित ढांचा गिरने के बाद क्या कार्यवाही हुई थी
बजरंग दल के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी ढांचा का विध्वंस हुआ था। इसके बाद 36 लोगों पर प्रकरण दर्ज किया गया। उमाभारती, लालकृष्ण आडवाणी, अशेाक सिंघल व मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, विनय कटियार को ढांचा विध्वंस के तत्काल बाद हिरासत में ले लिया गया था। इसके बाद 7 दिसंबर 1993 को हम लोगों ने यह सारा प्रकरण कांग्रेस सरकार के इशारे पर कूटरचित तरीके से दर्ज किए जाने के विरोध में जमानत लेने से इंकार कर दिया था। इसके बाद हमें लखनऊ जेल भेज दिया गया। 8 दिसंबर को अचानक मुलायम सिंह का राजकीय विमान आया और हमें लेकर माताटीला में अस्थाई जेल में भेजा गया। यह समाचार मिलने पर बुंदेलखंड व ग्वालियर में कार्यकर्ताओं में सरगर्मी तेज हो गई। इसकी सूचना मिलते ही दो दिन बाद विमान से हमें वाराणसी ले जाया गया। वहां से मुझे गिर्राज किशोर, सतीश प्रधान को मिर्जापुर के चुनार किले में जेल बनाकर रखा गया। वहां पर मैंने व आचार्य गिर्राज किशोर ने अनशन किया था।
जयभान सिंह पवैया के भाषणों की कैसेट और दस्तावेज चार्जशीट में
जयभान सिंह पवैया ने कहा कि इस कार्य के लिए पार्टी व संघ ने कानूनी मोर्चे पर लड़ने के लिए तात्कालीन भाजपा नेता प्रमोद महाजन को जिम्मेदारी सौंपी थी। कांग्रेस सरकार ने आरएसएस पर उस समय प्रतिबंध लगा दिया था। इसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया था। इस दौरान अनेक नेताओं सहित मेरे घर भी छापा डाला गया। वहां से सीबीआइ को बाबरी ढांचे की ईंट बरामद नहीं हुई थी, लेकिन वे मेरे भाषणों की कैसेट व दस्तावेज जब्त कर ले गए थे।