भारत के कई राज्यों में दर्जनों सीटों पर उप चुनाव होने वाले हैं। मध्यप्रदेश में 2020 का उपचुनाव, मुख्य चुनाव से कम महत्वपूर्ण नहीं। सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि जब 5 साल में एक बार लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव, इसी प्रकार दूसरे चुनाव हो जाते हैं तो फिर बीच-बीच में उपचुनाव का आयोजन क्यों किया जाता है।
सरल शब्दों में समझिए, उप चुनाव क्यों होते हैं
- जब कोई जनप्रतिनिधि (सांसद या विधायक) कार्यकाल पूरा होने से पहले अपने पद से इस्तीफा दे दे।
- जब किसी जनप्रतिनिधि (सांसद या विधायक) को चुनाव के अयोग्य घोषित कर दिया जाए।
- जब किसी निर्वाचन प्रक्रिया को त्रुटिपूर्ण मानते हुए निर्वाचन शून्य घोषित कर दिया जाए।
- जब किसी जनप्रतिनिधि (सांसद या विधायक) की कार्यकाल पूर्ण होने से पहले ही मृत्यु हो जाए।
- जब किसी जनप्रतिनिधि (सांसद या विधायक) को पार्टी से बर्खास्त कर दिया जाए।
कुल मिलाकर किसी भी स्थिति में यदि सीट खाली हुई तो उपचुनाव का आयोजन करके सीट पर एक नए जनप्रतिनिधि को बिठाया जाता है।
उपचुनाव में चुने गए जनप्रतिनिधि का कार्यकाल पूरे 5 साल नहीं होता बल्कि मुख्य चुनाव के लिए शेष बची अवधि उसका कार्यकाल होता है।
उपचुनाव कराने के बजाय निकटतम प्रतिद्वंदी को जनप्रतिनिधि क्यों नहीं मान लिया जाता
यदि किसी भी कारण से किसी जनप्रतिनिधि की सीट रिक्त हो जाती है 2 सीट के लिए दोबारा मतदान क्यों कराया जाता है। सरकारी नौकरियों की तरह वेटिंग लिस्ट से नए उम्मीदवार को अवसर क्यों नहीं दिया जाता। यानी निकटतम प्रतिद्वंदी को शेष बचे हुए कार्यकाल के लिए अवसर क्यों नहीं दिया जाता है। इसका बड़ा सरल था उत्तर यह है कि यदि ऐसा किया जाने लगा तो निकटतम प्रतिद्वंदी आपराधिक साजिश रचने लगेंगे और जनप्रतिनिधियों की जान को नया खतरा पैदा हो जाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (current affairs in hindi, gk question in hindi, current affairs 2019 in hindi, current affairs 2018 in hindi, today current affairs in hindi, general knowledge in hindi, gk ke question, gktoday in hindi, gk question answer in hindi,)