गुलामी मुगलों के जमाने में होती थी। भारतीय नागरिकों का अपहरण करके उनसे गुलामी कराई जाती थी। किसी भी किले के अंदर बंधक बनाकर रखना या गंभीर चोट पहुचाना और दास बनाकर रखना ये मुगल में होता था। कुछ अरब देशों में आज भी मनुष्यों की खरीद-फरोख्त होती है लेकिन भारत में अब मुगलों का शासन नहीं है। यदि कोई व्यक्ति अपनी शारीरिक या किसी अन्य प्रकार की ताकत का उपयोग करके किसी व्यक्ति को धमकाकर, उसे गुलाम बनने के लिए बाध्य करता है या फिर बंधुआ मजदूर बनाता है तो भारतीय दंड संहिता में ऐसे लोगों को सबक सिखाने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 367 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति किसी का अपहरण या किडनैपिंग निम्न उद्देश्य से करता है:-
1. किसी व्यक्ति से गुलामी करवाना।
2. दास या दासी बनाकर रखना।
3. किसी भी गंभीर चोट की धमकी देकर अप्राकृतिक कामवासना वाले कृत्य करवाना आदि।
उपयुक्त उद्देश्य से अपहरण या किडनैपिंग करनें वाला व्यक्ति धारा 367 के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 367 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है। यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते है, इनकी सुनवाई का अधिकार सेशन न्यायालय को होता है। सजा- इस अपराध में 10 वर्ष की कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है। बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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