पूरे देश में इन दिनों बड़ी बहस चल रही है कि यदि कोई पुरुष अपनी पत्नी की सहमति के बिना उसके साथ संबंध बनाता है तो क्यों ना इसे बलात्कार माना जाए और पति के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए। बहस के दौरान इसे मैरिटल रेप (वैवाहिक बलात्कार) नाम दिया गया। भारत के कानूनों में इस तरह की घटनाओं को अपराध नहीं माना गया बल्कि दांपत्य जीवन की सामान्य प्रक्रिया माना गया। लेकिन आज हम आपको बताते हैं कि एक परिस्थिति ऐसी होती है जब पति यदि पत्नी की इच्छा के विरुद्ध शारीरिक संबंध बनाए तो उसे बलात्कार माना जाता है।
हिन्दू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13 की उपधाराए न्यायिक पृथक्करण की बात करती है, जिसके अंतर्गत पति पत्नी एक वर्ष तक अलग रह सकते हैं, एवं इस दौरान पति, पत्नी के साथ बलात्संग करता है तो यह अपराध बलात्कार की श्रेणी में आएगा जानिए। इस तरह के बलात्कार को आईपीसी की धारा 376-ख के तहत दर्ज किया जाता है।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 376-ख(B), की परिभाषा:-
अगर कोई पति अपनी पत्नी से पृथक्करण के दौरान या अलग अलग होने के दौरान सहमति के बिना अपनी पत्नी से संभोग(मिथुन) करता है, तो यह बलात्कार के अपराध की श्रेणी में आएगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 376-ख(B) के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी प्रकार से समझौता योग्य नहीं है, यह अपराध संज्ञेय(पीड़िता की शिकायत करने पर) एवं जमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार सेशन न्यायालय को होता है। सजा- कम से कम दो वर्ष का कारावास लेकिन 7 वर्ष तक कि हो सकती हैं और जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है। बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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