आज के लेख में हम एक महत्वपूर्ण अपराध की जानकारी देंगे जो सामान्य तौर पर घटित होता रहता है, लेकिन जानकारी के अभाव में लोग इस अपराध को सामान्य बात समझ कर छोड़ देते हैं परन्तु यह अपराध कितना गंभीर होता है आज की धारा 365 में बताएगे। कभी - कभी बहुत से माता-पिता की शिकायत आती हैं कि उनकी लड़की को, दामाद ने जबरदस्ती मायके से ले गया परन्तु दामाद उसकी पत्नी को, पत्नी के सुसराल न ले जाकर कही और छिपा कर रखे और लड़की को उनके माता-पिता से न मिलने दे तो क्या दामाद पर लड़की के माता-पिता धारा 365 के अंतर्गत मामला दर्ज कर सकते हैं? जानिए
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 365 की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति किसी का बलपूर्वक अपहरण या व्यपहरण करता है। और उसके बाद वह अपहरण या व्यपहरण किये गए व्यक्ति को किसी गुप्त स्थान पर छिपा कर रखता है तब ऐसा करने वाला व्यक्ति धारा 365 के अंतर्गत दोषी होगा।
भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 365 के अंतर्गत दण्ड का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध किसी भी तरह से समझौता योग्य नहीं होते है।यह अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय अपराध होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट को होता है।(मध्यप्रदेश दण्ड संहिता संशोधन अधिनियम 2007 के अनुसार प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के स्थान पर सेशन न्यायालय स्थापित किया गया)।
सजा- उपयुक्त अपराध के लिए 7 वर्ष की कारवास एवं जुर्माने से दण्डित किया जा सकता है।
उधरणानुसार वाद:- घुघरू बनाम सम्राट- आरोपी पति ने अपनी पत्नी को अपने पिता का घर छोड़ने के लिए विवश करने के लिए उसके विरुद्ध बल प्रयोग किया और पत्नी को अपने घर न ले जाकर कही अन्य स्थान पर रखा ताकि उसके(पत्नी के) माता-पिता उसे ढूंढ़ न सके।न्यायालय द्वारा आरोपी को 365 के अधीन दोषी ठहराया गया। बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
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