भोपाल। मुख्यमंत्री महोदय के लिए कोरोना संकट के दौरान लगभग 60 करोड़ का एयरक्राफ्ट आने के समाचार की स्याही सूखी भी नहीं और माननीयों के आयकर भुगतान हेतु ₹एक करोड़ अस्सी लाख जारी किये जाने के समाचार आ गये। "मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ" के प्रांताध्यक्ष श्री प्रमोद तिवारी एवं प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने संयुक्त प्रेस नोट में बताया कि देश में पांच राज्यों जिसमें मप्र के अलावा छत्तीसगढ़, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड में माननीयों के आयकर का भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है।
मप्र में यह भुगतान 01 अप्रैल 1994 से खजाने से सतत किया जा रहा है। इससे इन्हें दोहरा फायदा व खजाने को नुकसान होता है। एक तो माननियों का सरकार द्वारा आयकर भुगतान से लाभ होता है वहीं दूसरी ओर इनकी आय में तो इतनी ही वृद्धि अपने आप हो जाती है व इसके भुगतान का भार खजाने पर आ जाता है। इससे तो आयकर माफ कर दिया होता तो दौहरे नुकसान से बचा जा सकता है।
इनके भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए पेंशन प्रावधान है। लेकिन वर्षों सेवा करने वाले कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना से वंचित कर दिया गया है। यह कहाँ तक न्यायोचित है कि आयकर योग्य "आय" कमाने वाले से आयकर नहीं लिया जाता है, इसकी भरपाई खून-पसीने से खजाना भरने वालों को करना पड़ रही है। यह शोध का विषय हो सकता है कि "माननीय वास्तव में आयकर भुगतान में असमर्थ है!" यदि साधारण आयकर दाता से थोड़ी चूक हो जाए तो उसकी खैर नहीं।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि माननीयों को वेतन से ज्यादा भत्तों के रूप में राशि मिलती है। गत वर्ष से "उत्तर प्रदेश की योगी सरकार" ने साहसिक, सराहनीय व सर्वमान्य निर्णय लेते हुए माननीयों के आयकर का भुगतान उक्तानुसार करने पर पाबंदी लगा कर स्वयं को पाबंद कर दिया है। प्रदेश में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को विगत सरकार द्वारा अक्तूबर 2019 के आदेशानुसार जुलाई 2019 से एरियर सहित 5 फीसदी डीए सतत दिया जा रहा है।
इस आदेश को स्थगित न कर इसके उलट कोविड-19 के कारण कर्मचारियों अधिकारियों के 5% डीए मार्च 2020 में जारी आदेशानुसार जुलाई 2019 से दिया जाना था; स्थगित किया। ये प्रदेश सरकार के विरोधाभासी निर्णय है। उसके बाद तो छठे/सातवें वेतनमान के एरियर की अंतिम किश्त जो अप्रैल-मई में भुगतान होना थी, उसे रोका गया। फिर जुलाई से मिलने वाली 3% वार्षिक वेतनवृध्दि रोककर काल्पनिक गणना के आदेश दिये गये। इन आदेशों के पीछे तर्क दिया गया है कि कोविड-19 के कारण स्थितियां खराब हो गई है।
एयरक्राफ्ट के आने व माननीयों के आयकर का भुगतान करने व भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को उपकृत करने के बाद यह सिद्ध हो गया है कि प्रदेश की आर्थिक हालत केवल कर्मचारियों अधिकारियों को देते वक्त खराब हो जाती है! यह स्थिति माननीयों एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के प्रति रहम व अधिकारी कर्मचारियों के लिए सितम नहीं है? माननीय श्रीमान शिवराजसिंह जी चौहान मुख्यमंत्री महोदय मप्र शासन भोपाल सार्वजानिक रूप से व्यक्त चुके है कि कर्मचारी अधिकारी शासन की रीढ़ है तो फिर रीढ़ को आर्थिक रूप कमजोर करना हजम नहीं हो रहा है।
"मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ" माननीय मुख्यमंत्री से अपेक्षा करता है कि अधिकारियों कर्मचारियों के स्वत्वों के भुगतान पर अविलंब निर्णय लेकर कोरोना काल में रोके गये डीए, एरियर व वास्तविक वेतनवृद्धि तत्काल देते हुए सभी के लिए पुरानी पेंशन योजना में शामिल कर इस वर्ग का आक्रोश व नाराजगी समाप्त करना चाहिए। विधानसभा उप चुनाव में इसका असर परिलक्षित होगा।
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