यदि आप बाग-बगीचा, खेत या जंगल में आते जाते रहते हैं तो गिलहरी को जरूर जानते होंगे। देहात यानी ग्रामीण क्षेत्रों में इसे श्रीराम की गिलहरी भी कहते हैं। इस की पीठ पर धारियां बनी होती है। सवाल यह है कि यह धारियां क्यों बनती है। क्या वह कहानी सही है जिसमें बताया गया है कि भगवान श्री राम के कारण ऐसी धारियां बनती है।
श्रीरामचरितमानस में गिलहरी का प्रसंग
भगवान राम जब रामेश्वरम से लंका तक के लिए समुद्र पर पुल बना रहे थे तब एक नन्हीं सी गिलहरी भी श्रमदान कर रही थी। वह समुद्र के पानी में डुबकी लगाती फिर किनारे पर गुलाटी मारकर अपने शरीर में बालू (रेत) चिपका लेती और पुल पर जाकर अपने शरीर में कंपन पैदा करके रेत के कण गिरा देती थी। भगवान श्रीराम ने जब उसे ऐसा करते हुए देखा तो उस पर असीम प्रेम उमड़ पड़ा। प्रभु श्री राम ने नन्हीं सी गिलहरी को अपनी गोद में उठाकर प्रेम पूर्वक उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए उसके श्रमदान की सराहना की। साथ ही आशीर्वाद दिया कि सृष्टि में जब भी कोई तुम्हें देखेगा तो उसे मेरा स्मरण हो जाएगा और वह तुम्हें मेरी ही तरह प्रेम और सम्मान देगा। कहते हैं कि गिलहरी की पीठ पर भगवान श्री राम के हाथों के निशान आज भी मौजूद है। यह निशान हर जन्म लेने वाली गिलहरी की पीठ पर होते हैं।
गिलहरी की धारियों के बारे में विज्ञान क्या कहता है
जीव विज्ञानी आर. मालारिनो ने इस संदर्भ में काफी रिसर्च किया। नेचर मैगजीन में उनकी रिसर्च रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। श्री आर. मालारिनो के अनुसार गिलहरी, जेब्रा और अफ्रीका में पाया जाने वाला एक खास किस्म का धारीदार चूहा तीनों के शरीर पर लगभग एक जैसी धारियां होती है। एमआईटीएफ नामक जीन उन कोशिकाओं का प्रमुख नियमनकर्ता है जिन्हें मेलेनोसाइट या रंजक कोशिका कहते हैं। ये कोशिकाएं रंजक ( Pigment) बनाती हैं जो बालों और त्वचा की कोशिका में रंग भरने का काम करता है।
गिलहरी दुनिया में कहां-कहां पाई जाती है
गिलहरियाँ छोटे व मध्यम आकार के कृन्तक प्राणियों की विशाल परिवार की सदस्य है जिन्हें स्कियुरिडे कहा जाता है। इस परिवार में वृक्षारोही गिलहरियाँ, भू गिलहरियाँ, चिम्पुंक, मार्मोट (जिसमे वुड्चक भी शामिल हैं), उड़न गिलहरी और प्रेइरी श्वान भी शामिल हैं। यह अमेरिका, यूरेशिया और अफ्रीका की मूल निवासी है और आस्ट्रेलिया में इन्हें दूसरी जगहों से लाया गया है। लगभग चालीस मिलियन साल पहले गिलहरियों को पहली बार, इयोसीन में साक्ष्यांकित किया गया था और यह जीवित प्रजातियों में से पर्वतीय ऊदबिलाव और डोरमाइस से निकट रूप से सम्बद्ध हैं। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article (current affairs in hindi, gk question in hindi, current affairs 2019 in hindi, current affairs 2018 in hindi, today current affairs in hindi, general knowledge in hindi, gk ke question, gktoday in hindi, gk question answer in hindi,)