कर्मचारी भविष्य निधि फर्जी चालान मामले में बालाराम की जमानत निरस्त / GWALIOR NEWS

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ग्वालियर। फरियादी द्वारा थाना हजीरा को बताया गया की सक्सेना ट्रेडिंग कंपनी पर बालाराम शुक्ला वर्ष 2009 से अकाउंटेंट का कार्य देखते थे और उनके द्वारा ही स्टाफ के प्रोविडेंट फंड एवं ईएसआई के चालान बैंकों में भुगतान कर संबंधित कार्यालय में प्रस्तुत किए जाते थे। वर्ष 2013 से उक्त चालान बैंक में ऑनलाइन जमा की जाने लगे जिसके लिए बालाराम ने अपने लडक़े सुधीर शुक्ला को भी कंपनी में अपने साथ नौकरी पर लगवा लिया और कंपनी के कंप्यूटर पासवर्ड लेकर नेट बैंकिंग के माध्यम से चालान जमा किए जाने लगे। 

उक्त चालन स्टेट बैंक में ही जमा किए जाते थे लेकिन कंपनी का कोई खाता स्टेट बैंक कि किसी भी शाखा में नहीं था। तब बालाराम ने फरियादी से कहा की चालान की रकम को हमारे खाते में ट्रांसफर कर दो हम अपने खाते से चालन स्टेट बैंक में जमा कर देंगे। कंपनी के मालिक ने विश्वास करते हुए चालान की रकम आरोपी गणों के खातों में ट्रांसफर कर दी। यह सिलसिला कई सालों तक चलता रहा। कंपनी को इस बात की जानकारी तब हुई जब की सरकार द्वारा कंपनी के खातों को बंद कर दिया गया और ईएसआई के चालान जमा नहीं किए जाने का नोटिस दिया।

कंपनी के मालिक ने आरोपी गणों से चालान जमा किए जाने के संबंध में जानकारी ली तो आरोपी गणों ने कहा हमने सभी चालान जमा किए हैं जिसकी पड़ताल करने पर पता चला कि विभागों में जो चालान प्रस्तुत किए गए वह कूट रचित फर्जी हैं। आरोपी गणों ने कोई राशि जमा नहीं की है। जिस पर से बालाराम के खिलाफ धोखाधड़ी कूट रचित दस्तावेज एवं आईटी एक्ट का प्रकरण पंजीबद्ध किया गया है।

आरोपी बालाराम को पुलिस ने 14 अगस्त को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था जिसका जमानती आवेदन श्रीमान जिला सत्र न्यायाधीश ग्वालियर के यहां प्रस्तुत किया गया था जिसकी सुनवाई श्री आरके जैन एकादशम एडीजे ग्वालियर के न्यायालय में की गई।

शासन की और से अपर लोक अभियोजक धर्मेंद्र कुमार शर्मा द्वारा आपत्ति दर्ज करते हुए बताया गया सह आरोपी सुधीर वर्तमान में फरार है आरोपी गणों ने मिलकर शासन में जमा की जाने वाली राशि 17 लाख 62 हजार रुपए का गबन किया है एवं फर्जी चालान बनाकर विभागों में प्रस्तुत किए गए हैं जो गंभीर किस्म का अपराध है आरोपी गढ़ ने संगठित रूप से अपराध करित किया है ऐसे में आरोपी गणों को जमानत का लाभ दिया जाना न्यायोचित नहीं है।

न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपराध की गंभीरता एवं शासकीय कार्यालयों में फर्जी चालान पेश कर छल किया है ऐसे में आरोपी का जमानती आवेदन निरस्त किए जाता है।\

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