इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर की चोइथराम मंडी के नाकेदार के भ्रष्टाचार में पकड़े जाने के लगभग एक सप्ताह बाद कृषि उपज मंडी समिति ने अभी तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। मंडी प्रभारी से लेकर मंडी के चौकीदार तक कुल 34 कर्मचारियों को एक मंडी से दूसरी मंडी में भेज दिया गया है। अब चोइथराम मंडी का प्रभार दिलीप नागर के बजाए प्रदीप जोशी को दे दिया गया है।
बताया जा रहा है कि यह सब कुछ मंडी के कुछ बड़े अफसरों को बचाने के लिए किया गया है। असल में नाकेदार के पकड़े जाने के बाद जमानत पर रिहा आरोपी मंडी सचिव मानसिंह मुनिया और मंडी प्रभारी दिलीप नागर की बंद कमरे में लगभग एक घंटे तक बैठक चलती रही। इसके पीछे का कारण लोकायुक्त द्वारा मंडी सचिव मुनिया का बयान लिया जाना था। नाकेदार के पकड़े जाने के बाद भी चोइथराम मंडी के नाके पर होने वाली वसूली में कोई कमी नहीं आई थी।
इसकी गोपनीय जानकारी भोपाल के अफसरों ने भी निकलवाई। इसमें साफ हो गया कि मंडी के नाके पर होने वाली वसूली बदस्तूर जारी है। अब मंडी सचिव पर कार्रवाई को लेकर शिकंजा कसना शुरू हो गया। खुद को बचाने के चलते उन्होंने निचले स्तर के 34 कर्मचारियों पर कार्रवाई कर डाली। शुक्रवार को ही ताबड़तोड़ आदेश जारी कर दिए गए। जिन लोगों का तबादला किया है, उनमें मंडी प्रभारी के साथ ही मंडी निरीक्षक, सहायक उप निरीक्षक और 12 चौकीदार शामिल हैं।