देवास। भारतीय जनता पार्टी की महिला नेता एवं मध्य प्रदेश की पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने प्राइवेट स्कूल फीस विवाद पर बेतुका बयान दिया है। मनमानी स्कूल फीस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र नेताओं से मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि प्राइवेट स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूलों में भर्ती हो जाओ, इनकी दुकान है अपने आप बंद हो जाएंगी और फीस की समस्या भी खत्म हो जाएगी।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र नेताओं ने इंदौर कलेक्ट्रेट पर धरना दिया
दरअसल ABVP के पदाधिकारी विद्यार्थी और अभिभावकाें के साथ कलेक्टाेरेट में नारेबाजी करते हुए समस्या बताने आए थे। आवेदन लेने के लिए SDM प्रदीप साेनी आए ताे विद्यार्थियाें ने इनकार कर दिया। वे कलेक्टर चंद्रमाैली शुक्ला काे आवेदन देना चाहते थे।कलेक्टर के नहीं आने पर कलेक्टाेरेट परिसर में ही धरने पर बैठ गए। नारेबाजी करने लगे।
कैबिनेट मंत्री ने प्रदर्शनकारी छात्रों को बेतुका जवाब दिया
कुछ ही देर में कलेक्टोरेट में अंदर से पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर, कलेक्टर चंद्रमौली शुक्ला, विधायक गायत्रीराजे पवार बाहर आए। छात्राें काे जमीन पर बैठा देख मंत्री उषा ठाकुर उनके पास पहुंची। एबीवीपी छात्र संगठन के राजवर्धन यादव ने आवेदन का वाचन कर मंत्री काे दिया। एक छात्र ने ठाकुर काे फीस की पर्ची हाथ में देते हुए कहा, देखाे प्राइवेट स्कूल वाले काेराेनाकाल में भी इतनी फीस ले रहे हैं। मंत्री ने कहा सरकारी स्कूलाें में कितनी अच्छी पढ़ाई चल रही हैं। प्राइवेट स्कूल में भर्ती हाेना बंद कर दाे, इनकी दुकानें अपने आप बंद हाे जाएंगी। स्कूल वालाें से कहाे अभी ताे एडमिशन दाे फीस जमा नहीं हाेने पर रिजल्ट मत देना।
प्राइवेट स्कूलों को कंट्रोल करना सरकार की जिम्मेदारी है
इस अवसर पर बताना जरूरी है कि प्राइवेट स्कूलों पर कंट्रोल करना सरकार की जिम्मेदारी है। कोई भी मंत्री, जनप्रतिनिधि या अधिकारी इस तरह का बयान नहीं दे सकता जैसा कि उषा ठाकुर ने दिया। सरकार की तरफ से प्राइवेट स्कूलों को कई तरह की सुविधाएं दी जाती हैं। यहां तक की सस्ती जमीन और स्कूल बसों के परिवहन टैक्स पर छूट दी जाती है। ग्वालियर में सिंधिया स्कूल को 200 करोड रुपए मूल्य की सरकारी जमीन ₹100 प्रति वर्ष में 99 साल के लिए लीज पर दी गई है। ऐसे में सरकार की जिम्मेदारी है कि वह स्कूल संचालकों पर नियंत्रण करें। दूसरी सरकार की जिम्मेदारी यह भी है कि वह अपने सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर इतना अच्छा कर दे कि लोग लाइन लगाकर अपने बच्चों का एडमिशन कराएं।
मंत्री उषा ठाकुर से एक सरल सा सवाल
क्या कारण है कि प्राइवेट स्कूलों में महंगी फीस देकर पढ़ाई करने वाले बच्चों के पेरेंट्स हायर एजुकेशन के समय सरकारी कॉलेजों को प्राथमिकता देते हैं। अंतर स्पष्ट है, सरकारी कॉलेजों में पढ़ाई का स्तर प्राइवेट कॉलेजों से अच्छा है। यदि उषा ठाकुर के क्षेत्र में सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर अच्छा होगा तो उन्हें इस तरह का कोई बयान नहीं देना पड़ेगा। लोग अपने आप लाइन लगाकर स्कूल के बाहर खड़े नजर आएंगे। पेरेंट्स अपने बच्चों के भविष्य के लिए हर संभव कोशिश करते हैं। उषा ठाकुर अब मंत्री बन गई हैं, उन्हें सरकारी जिम्मेदारियां और जनता की समस्याएं समझना चाहिए।