जबलपुर। कुचबंधिया मोहल्ला घमापुर में स्थित एक सरकारी प्राइमरी स्कूल में अवैध शराब का जखीरा मिला है। कोविड-19 प्रोटोकॉल के कारण स्कूल बंद था परंतु स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देशानुसार विद्यालय भवन की साफ सफाई एवं देखभाल नियमित रूप से की जानी थी। शराब माफिया को बंद स्कूल को गोदाम बनाने के लिए किसने दिया, जांच का विषय है।
समाचार प्राप्त हुआ है कि आबकारी विभाग को किसी जागरूक नागरिक ने इस के संदर्भ में इंफॉर्मेशन दी थी। आबकारी विभाग की टीम जब इंफॉर्मेशन को कंफर्म करने मौके पर पहुंची तो देसी शराब की बदबू उन्हें स्कूल तक खींच ले गई। ताला खोलने पर पता चला कि सरकारी स्कूल भवन को शराब का गोदाम बना दिया गया है। यहां से 5000 लीटर शराब का स्टॉक बरामद किया गया है।
स्कूल भवन किराए पर देने की पुरानी परंपरा है
दरअसल, स्कूल संचालन के लिए फंड जुटाने हेतु स्कूल भवन एवं मैदानों को न्यूनतम किराए पर देने की पुरानी परंपरा है। ज्यादातर सांस्कृतिक कार्यक्रम, टूर्नामेंट का आयोजन, विवाह समारोह या फिर धार्मिक कार्यक्रमों के लिए स्कूल परिसर भवन एवं मैदान किराए पर दिए जाते थे पहली बार शराब माफिया को गोदाम बनाने के लिए स्कूल भवन का उपयोग देखा जा रहा है।
जांच होनी चाहिए: पर्ची कटी है या बार्टर डील हुई है
स्कूल भवन जब किराए पर दिया जाता है तो अस्थाई रूप से उपयोग करने वाला व्यक्ति स्कूल को एक निश्चित धनराशि दान स्वरूप देता है। इसके बदले उसे एक रसीद प्राप्त होती है। आम बोलचाल की भाषा में इस प्रक्रिया को पर्ची कटवाना कहते हैं। इसके अलावा एक और तरीका होता है। कारपोरेट कंपनियों की भाषा में उसे बार्टर डील और वाणिज्य की किताबों में ही से वस्तु विनिमय कहा जाता है। यानी दोनों पक्षों के बीच धन का आदान-प्रदान नहीं होता बल्कि वस्तु का आदान-प्रदान होता है। सरल शब्दों में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने शराब माफिया को स्कूल का उपयोग करने की अनुमति दी और बदले में मनचाही शराब प्राप्त की। यदि ऐसा है तो यह गंभीर मामला है और जांच होनी ही चाहिए।