जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में आगामी तीन माह बाद शहर की सड़कों पर 50 इलेक्ट्रिक बसें दौड़ती नजर आएँगी। इन बसों से जहाँ डीजल की बचत होगी वहीं प्रदूषण में कमी भी आएगी। एक इलेक्ट्रिक बस 75 मिनट की चार्जिंग पर 220 किमी की दूरी तय करेगी। केन्द्र सरकार की डिपार्टमेंट ऑफ हैवी इंडस्ट्री गाइडलाइन के तहत प्रत्येक बस के लिए 45 लाख की सब्सिडी मिलेगी।
बताया जा रहा है कि एक इलेक्ट्रिक बस के संचालन पर प्रति किमी 60 रु. खर्च आएगा। इलेक्ट्रिक बसों का परिचालन ग्रॉस कॉस्ट कांट्रेक्ट मॉडल से होगा। इसका ऑपरेशन और मेंटेनेंस का काम फेम-2 योजना के तहत होगा। वर्तमान में शहर को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नॉन अटेनमेंट सिटी घोषित किया है जहाँ प्रदूषण का स्तर संवेदनशील माना जाता है। अभी चल रहीं डीजल बसें वायु प्रदूषण को बढ़ाती हैं। इन बसों से हाइड्रो कार्बन का ज्यादा उत्सर्जन होता है। उसके एवज में इलेक्ट्रिक बसों के जरिए हाइड्रोकार्बन को नियंत्रित किया जा सकेगा।
जेसीटीएसएल के सीईओ सचिन विश्वकर्मा ने बताया कि इलेक्ट्रिक बसों का किराया सामान्य मेट्रो बसों की भाँति ही होगा, चूँकि बसों का संचालन डीजल से नहीं होगा, इसलिए बसों का किराया सालों तक एक सा रहेगा। केन्द्र सरकार की योजना के तहत जबलपुर में 50, ग्वालियर में 50, भोपाल में 100, इंदौर में 100 व उज्जैन में 40 इलेक्ट्रिक बसों का संचालन होना है।