इंदौर। शहर के देवास नाका स्थित आयन डिजिटल ज़ोन में एक उम्मीदवार को इसलिए परीक्षा देने से रोक दिया गया क्योंकि उसने ईमानदारी से बता दिया था कि वह कोविड-19 पॉजिटिव है। केंद्र सरकार की गाइड लाइन के अनुसार परीक्षा केंद्र पर आइसोलेशन कक्ष होना चाहिए था परंतु यहां नहीं था। कलेक्टर ने भी नेताओं की तरह फोन पर सहयोग किया परंतु डिस्टिक मजिस्ट्रेट होने के नाते आदेश जारी नहीं किया। ना ही परीक्षा केंद्र के खिलाफ समाचार लिखे जाने तक कोई कार्यवाही प्रारंभ की थी।
केंद्र सरकार की गाइडलाइन है लेकिन JEE अधिकारियों ने मौखिक प्रतिबंध लगा दिए
राजगढ़ निवासी ये छात्र तीन साल से परीक्षा की तैयारी कर रहा था, पर चार दिन पहले संक्रमित हो गया। जेईई के नियमों के अनुसार संक्रमित छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हो सकते, लेकिन पलाश का कहना है कि ये मौखिक निर्देश हैं। इसके उलट प्रवेश पत्र का नियम 6 कहता है कि जब तक कोई छात्र केंद्र या राज्य के किसी नियम को नहीं तोड़ता, तब तक उसे परीक्षा में बैठने से वंचित नहीं कर सकते।
कलेक्टर ने सहयोग किया, आदेश नहीं दिया
पलाश ने सेंटर के आईआईटी रिप्रेजेंटेटिव (आईआर) से गुहार लगाई। उन्होंने इनकार किया तो पलाश ने उनकी बात कलेक्टर मनीष सिंह से करवाई। पलाश के अनुसार, कलेक्टर ने कहा कि आइसोलेशन रूम की व्यवस्था हो तो परीक्षा दे सकते हैं। हालांकि आईआर ने कलेक्टर को बताया कि MHRD के निर्देश हैं, संक्रमित को परीक्षा में नहीं बैठा सकते। यहां बताना जरूरी है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कलेक्टर को यह अधिकार है कि उनके क्षेत्र में होने वाली सभी परीक्षाओं में आइसोलेशन कक्ष का इंतजाम हो। किसी भी परीक्षार्थी को संक्रमित होने के कारण वंचित ना किया जाए।
हमने ईमानदारी से सबको बताया, इसलिए अन्याय हुआ: पीड़ित पक्ष
पलाश ने बताया, भाई 23 सितंबर को संक्रमित हुआ। ईमानदारी से हमने परीक्षा केंद्र, IIT DELHI और जेईई एडवांस्ड की HGELPLINE पर इसकी सूचना दी। यदि हम नहीं बताते तो मेरा भाई परीक्षा में आसानी से शामिल हो जाता। हेल्पलाइन पर भी यही जवाब मिला था। अब जेईई मेन की तरह जेईई एडवांस्ड की भी कोरोना संक्रमित छात्रों के लिए अलग से परीक्षा हो।