भोपाल। मप्र शासन द्वारा अधिकारियों कर्मचारियों को लगातार आर्थिक नुकसान पहुंचाने वाले आदेश देने से इनमें भारी नाराजगी व आक्रोश व्याप्त हैं। कुपित अधिकारी कर्मचारियों द्वारा शासन का ध्यान आकृष्ट कर ज्ञापन व कलम बंद आंदोलन किया था। अनदेखी, अड़ियल रवैया व उपेक्षा के चलते प्रदेश के लाखों अधिकारी/कर्मचारी पुनः आंदोलन की राह पर आ गये है।
मप्र जागरूक अधिकारी कर्मचारी समन्वय समिति के प्रांतीय आव्हान पर कलमबंद आंदोलन भाग-2 दिनांक 28 सितम्बर को अपने सहयोगी संगठनों के साथ "मप्र तृतीय वर्ग शास कर्मचारी संघ" के तहसील, ब्लाक, जिला व संभागीय स्तर से सक्रिय भागीदारी निभाकर इसे सफल बनाया जाएगा। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ के प्रांताध्यक्ष प्रमोद तिवारी, प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार, प्रांतीय महामंत्री हरिश बोयत, प्रांतीय सचिव द्वय जगमोहन गुप्ता एवं यशवंत जोशी ने संयुक्त प्रेस नोट में बताया कि सरकार ने जानबूझकर कर्मचारियों को कोरोना काल में उकसावे की कार्रवाई की है।
लंबित मांगों का निराकरण करने के बजाय नई मांगें खड़ी कर दी है। इनमें प्रमुख है-जुलाई 2019 से भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के समान 5% डीए दिया जावे। जुलाई 2020 से 3% वार्षिक वेतनवृध्दि काल्पनिक के बजाय वास्तविक दी जावे। छठे, सातवे वेतनमान के आधार पर देय एरियर की अंतिम किश्त जो अप्रैल-मई में मिलना थी इस पर से स्थगन हटाकर भुगतान सुनिश्चित किया जावे। एनपीएस के स्थान पर ओपीएस लागू की जावे। पदोन्नति प्रक्रिया प्रारंभ कर क्रमोन्नति वेतनमान प्राप्त योग्यता धारी शिक्षक कर्मचारी को पदनाम देना सुनिश्चित किया जावे।
वर्ष 2003 से जारी समूह बीमा योजना के साथ एचआरए व अन्य प्रासंगिक भत्तों को सातवें वेतनमान के आधार पर पुनरीक्षित किया जावे। कर्मचारी नेताओं ने प्रदेशभर के लाखों अधिकारियों कर्मचारियों से अपील की है कि आंदोलन में सक्रिय भागीदारी निभाकर पुरजोर विरोध प्रकट किया जावे। कोरोना के चलते अत्यावश्यक सेवाओं को इससे मुक्त रखा गया है।
अधिकारी कर्मचारी आंदोलन पर आमादा क्यों है?
कोरोना काल में माननीय मुख्यमंत्री महोदय मप्र शासन भोपाल ने लगभग 60 करोड़ का एयरक्राफ्ट खरीदा है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को जुलाई 2019 से 5% डीए बढ़ाकर 17% लगातार दिया जा रहा है। जबकि राज्य अधिकारियों कर्मचारियों के आदेश को स्थगित कर 12% डीए दिया जा रहा है। सक्षम होने के बाद भी 1994 से माननीयों का आयकर शासन के खजाने से भरा जाना दुर्भाग्य पूर्ण है चालू वर्ष के लिए एक करोड़ अस्सी लाख रुपयों का प्रावधान किया गया है।
माननीयों के बंगलों के रखरखाव के लिए करोड़ों का बजट रखा गया है। कर्मचारियों अधिकारियों को आर्थिक अनुशासन का पाठ पढ़ाया जाता है। इसके उलट भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के साथ माननीयों के खर्चे के चर्चे बरकरार है। अधिकारियों कर्मचारियों को देते समय प्रदेश की माली हालत खराब व अपनी सुविधाएं जुटाते समय बेहतर कैसे हो जाती है? मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ मांग करता है कि विधान सभा निर्वाचन की आचार संहिता के पूर्व न्यायोचित मांगों का निराकरण किया जावे। अन्यथा मतदान महादान में सपरिवार मित्रों सहित शत-प्रतिशत मतदान करेंगे। निश्चित ही इससे निर्वाचन के परिणाम प्रभावित हुए बगैर नहीं रह सकते है!