भोपाल। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री कमलनाथ ने श्यामला हिल्स स्थित सरकारी भवन को बड़ी ही शिद्दत के साथ रिनोवेट करवाया था, उसमें वापस जाने के लिए एक बड़ा गेम प्लान किया है। श्री कमलनाथ ने अपने व्यक्तिगत विरोधी ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ चुनाव प्रचार करने के लिए उनके व्यक्तिगत मित्र सचिन पायलट को बुलाया है। मजेदार बात यह है कि सचिन पायलट, कमलनाथ के खास दोस्त अशोक गहलोत के विरोधी हैं।
मुंबई मिरर के पत्रकार श्री रशीद किदवई के सवालों का जवाब देते हुए राजस्थान के युवा नेता श्री सचिन पायलट ने कहा कि मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ जी ने मुझे उपचुनाव में प्रचार करने के लिए आमंत्रित किया है। मैं निश्चित रूप से मध्यप्रदेश में कमलनाथ जी के लिए प्रचार करने जाऊंगा। एक निष्ठावान कांग्रेसी सिपाही के नाते मैं अपनी पूरी क्षमताओं के साथ पार्टी की सेवा करने के लिए वचनबद्ध हूं। सचिन पायलट ने यह भी जोड़ा कि मध्य प्रदेश मेरे लिए परिवार की तरह है क्योंकि मध्य प्रदेश की सीमाएं राजस्थान से लगती हैं और मध्य प्रदेश के कई जिलो से हमारे बहुत अच्छे संबंध है।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के पास स्टार प्रचारकों का टोटा
मध्यप्रदेश उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी के पास स्टार प्रचारकों के नाम पर कुछ भी नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की स्वीकार्यता संगठन में भले ही कितनी हो परंतु जनता में दिग्विजय सिंह का नाम कांग्रेस के लिए हानिकारक है। कमलनाथ स्वयं भले ही राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस के माहिर खिलाड़ी हो परंतु हजारों की भीड़ को मोहित करने वाला भाषण देने में सक्षम नजर नहीं आते।
जीतू पटवारी 2018 से पहले तक किसी न किसी तरीके से जनता के आकर्षण का केंद्र बन जाते थे परंतु कांग्रेस पार्टी के सरकार में आने और जीतू पटवारी के कैबिनेट मंत्री बनने के बाद उन्होंने जिस तरह के बयान दिए, फैसले लिए, जनता में उनका आकर्षण काफी कम हो गया है। सज्जन सिंह वर्मा हर रोज सोशल मीडिया पर अपना वीडियो जारी करते हैं परंतु सब जानते हैं कि सज्जन वर्मा की सीमाएं कितनी सीमित हैं।
दिग्विजय सिंह के युवराज जयवर्धन सिंह और कमलनाथ के उत्तराधिकारी नकुल नाथ अभी तक स्टार किड्स की पहचान से बाहर नहीं निकल पाए हैं। पॉलिटिक्स में नेपोटिज्म के कारण उन्हें पद तो मिल गए परंतु जनता में जादू बिखेरने की कला अभी तक नहीं सीख पाए हैं। दोनों बच्चों में अपने पिताओ के 10% गुण नजर नहीं आते। हालांकि दोनों खुद को मध्य प्रदेश का भावी मुख्यमंत्री मानते हैं। कुल मिलाकर कमलनाथ की टीम में कोई भी ऐसा नहीं है जो शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया के समकक्ष नजर आता हो।