भोपाल। दिनांक 3 दिसंबर 1984 को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के नजदीक स्थित औद्योगिक क्षेत्र मंडीदीप से निकली एक जहरीली गैस ने हजारों लोगों की जान ले ली थी। सरकार ने सबसे पहले भोपाल गैस कांड में मरने वालों की संख्या 2259 बताई थी (यह आंकड़ा विकिपीडिया से लिया गया)। आज मध्य प्रदेश सरकार ने कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या 2281 बताई है। दोनों आंकड़े सरकारी हैं और प्रारंभिक है। भोपाल गैस कांड में समय के साथ सरकार ने आंकड़ों में परिवर्तन किया और कोरोनावायरस मामले में सरकार क्या करेगी समय ही स्पष्ट कर पाएगा। फिलहाल प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या भोपाल गैस कांड में मरने वालों से ज्यादा हो गई है।
MADHYA PRADESH CORONA BULLETIN 29 SEPTEMBER 2020
संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं, मध्य प्रदेश द्वारा जारी कोरोनावायरस मीडिया बुलेटिन दिनांक 29 सितंबर 2020 (शाम 6:00 बजे तक) के अनुसार पिछले 24 घंटे में:-
18732 सैंपल की जांच की गई।
125 सैंपल रिजेक्ट हो गए।
16855 सैंपल नेगेटिव पाए गए।
1877 सैंपल पॉजिटिव पाए गए।
39 मरीजों की मौत हो गई।
2433 मरीज डिस्चार्ज किए गए।
मध्यप्रदेश में संक्रमित नागरिकों की कुल संख्या 126043
मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस से मरने वालों की संख्या 2281
मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस से स्वस्थ हुए नागरिकों की संख्या 102445
29 सितंबर 2020 को संक्रमित नागरिकों की संख्या 21317
मध्यप्रदेश में कोरोनावायरस से जीतने वालों की संख्या 100000 के पार
मध्यप्रदेश में उन लोगों की संख्या 100000 से अधिक हो गई है जो कोरोनावायरस से संक्रमित हुए थे परंतु अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं और अपना सामान्य जीवन जी रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने इस सफलता के लिए मध्य प्रदेश के डॉक्टरों एवं पैरामेडिकल स्टाफ का आभार व्यक्त किया है। उन्हें सम्मानित भी किया है।
संक्रमण के अलावा कोरोना के कारण मरने वालों की संख्या कहीं दर्ज नहीं
सरकारी रिकॉर्ड में वह संख्या तो दर्ज है जो लोग कोविड-19 से संक्रमित होकर किसी अस्पताल में अकाल मृत्यु का शिकार हुए परंतु कोरोना के कारण मरने वालों की संख्या किसी सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं है।
कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के कारण कितने लोगों की मृत्यु हुई, पता नहीं।
लॉकडाउन के कारण बेरोजगार हुए कितने लोगों ने आत्महत्या की, पता नहीं।
ऐसे कितने मरीजों की मृत्यु हुई, जो किसी और बीमारी से पीड़ित थे परंतु कोरोना के कारण डॉक्टरों ने या तो इलाज करने से मना कर दिया है या फिर डॉक्टर उपलब्ध ही नहीं थे।
इंदौर, भोपाल और जबलपुर सहित कई शहरों में अस्पतालों में होने वाली मृत्यु से ज्यादा श्मशान घाट में होने वाले अंतिम संस्कार की संख्या रिकॉर्ड की जा रही है। यदि मार्च 2020 से पहले की औसत मृत्यु दर और कोविड-19 के कारण अकाल मृत्यु का शिकार हुए लोगों की संख्या को जोड़ दिया जाए तब भी अंतिम संस्कार की संख्या इससे ज्यादा है।
भले ही इन लोगों की मौत कोविड-19 से संक्रमित होने के कारण ना हुई हो परंतु इनकी मौत का कारण कोरोनावायरस तो कहा ही जाएगा।