भोपाल। मप्र में शासकीय सेवा से निवृत्ति पर अवकाश नगदीकरण के मामले में वित्त विभाग के आदेश की उपेक्षा का खामियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। मप्र तृतीय वर्ग शास कर्मचारी संघ के प्रांताध्यक्ष श्री प्रमोद तिवारी एवं प्रांतीय उपाध्यक्ष एवं जिला शाखा नीमच के अध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने संयुक्त प्रेस नोट में बताया कि वित्त विभाग के आदेश क्रमांक एफ 6-1/2018/नियम/चार भोपाल दिनांक 18/07/2018 द्वारा शासकीय सेवकों के अवकाश नगदीकरण की सीमा 240 दिन के स्थान पर 300 दिन की गई थी।
इसको श्री अनुराग जैन प्रमुख सचिव वित्त विभाग के आदेश क्रमांक एफ 6-1/2018/नियम/चार, भोपाल दिनांक 08 मार्च 2019 के पेरा 3 में स्पष्ट किया है कि "दिनांक 01 जुलाई 2018 के बाद सेवानिवृत शासकीय सेवकों/सेवा में रहते दिवंगत होने की स्थिति में अर्जित अवकाश नगदीकरण की अधिकतम सीमा 300 दिवस निर्धारित की गई है।"
इसके साथ श्री अजय चौबे उप सचिव मप्र शासन वित्त विभाग भोपाल के संलग्न उदाहरण से स्पष्ट किया गया है। प्रदेश में वित्त विभाग के आदेश की गलत व्याख्या कर धज्जियां उड़ाते अधिकारी आपत्ति लगाकर मानने को तैयार नहीं है। सेवानिवृत्ति पर ढर्रे पर चलते हुए पुराने आदेशानुसार 240 दिवस तक नगदीकरण किया जा रहा है। सेवानिवृत्ति पर देय स्वत्वों के भुगतान में अनावश्यक विलंब से पेंशनरों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है जो सरासर अन्याय है।
"मप्र तृतीय वर्ग शास कर्म संघ" माननीय श्रीमान जगदीश जी देवड़ा वित्त मंत्री एवं प्रमुख सचिव वित्त विभाग मप्र शासन भोपाल से मांग करता है कि विभागीय आदेशानुसार दिनांक 01/07/2018 के पश्चात सेवानिवृत/सेवा में रहते दिवंगत होने पर संशोधित 240 के बजाय 300 दिवस अर्जित अवकाश नगदीकरण का लाभ सुनिश्चित किया जावे। साथ ही उक्त आदेश के पालन की समीक्षा कर अनावश्यक आपत्ति लगाने वाले अधिकारियों की जवाबदेही तय कर योग्य अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान होना चाहिए ताकि शासन की छवि खराब करने वाले अधिकारियों को योग्य अनुशासनात्मक कार्रवाई के दायरे में लेकर प्रभावितों के साथ न्याय किया जावे।