जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 से न्याय के लिए भटक रही शिक्षक की विधवा की याचिका पर फैसला सुनाते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को विधवा के आवेदन पर न्याय संगत निर्णय के लिए पाबंद किया एवं 3 महीने का समय दिया है।
प्रकरण इस प्रकार है कि श्री बाबूलाल मौर्या की नियुक्ति पन्ना जिले में सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति दिनांक 25/02/1961 को हुई थी। वर्ष 1967 में शीतकालीन अवकाश के दौरान ब्रेन ट्यूमर के आपरेशन के दौरान श्री बाबूलाल नेत्रहीन हो गए थे। अस्पताल से छुट्टी के बाद सेवा में वापस लौटने पर विभाग द्वारा उन्हें सेवा में उपस्थित नहीं करवाया गया। कर्मचारी अनियंत्रित परिस्थितियों के कारण दिनांक 25/12/67 से 04/06/93 तक सेवा से अनुपस्थित रहे।
दिनाँक 07/09/95 को असमर्थता एवं मेडिकल प्रमाणपत्र के आधार पर श्री मौर्य को सेवानिवृत्त कर दिया गया था एवं दिनाँक 25/12/67 से 04/06/93 के बीच की अवधि को पेन्शन हेतु, कार्य नहीं वेतन नहीं के आधार पर सेवा अवधि मान्य कर लिया गया। चूँकि, कर्मचारी की सेवा पुस्तिका को विभाग द्वारा गुमा दिया गया था। अतः, कई वर्षों तक, विभाग के चक्कर लगाने के बाद दिनांक 29/01/14 को विभाग द्वारा नियमानुसार, डुप्लीकेट सर्विस बुक तैयार की गई।
श्री बाबूलाल मौर्य का पेंशन केस विभाग द्वारा पेन्शन ऑफिस भेजने के बाद, पेंशन विभाग /ऑफिस द्वारा लेख किया गया कि पांच साल से अधिक अवकाश असाधारण अवकाश है। तदनुसार सक्षम अधिकारी से स्वीकृत कराने हेतु लेख किया गया। उस बीच कर्मचारी की मृत्यु दिनाँक 09/9/14 को हो गई।
उसके बाद कर्मचारी की विधवा श्रीमती जगरानी मौर्य द्वारा, पति की अनुपस्थिति की अवधि के नियमितीकरण हेतु प्रयास जारी रहा। चूँकि, उसके बाद ही उन्हें पेंशन मिल सकती थी। दिनाँक 02/05/15 को जिला शिक्षा अधिकारी पन्ना द्वारा प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा को स्थिति को अवगत कराते हुए, पेंशन प्रदाय हेतु असाधारण अवकाश स्वीकृत करने हेतु लेख किया गया परंतु उक्त पत्र को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। परेशान होकर, उनके द्वारा, हाई कोर्ट जबलपुर की शरण ली गई।
श्रीमती जगरानी मौर्य की ओर से पैरवी करने वाले हाई कोर्ट के अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी से प्राप्त जानकारी के अनुसार 5 साल से अधिक का अवकाश को असाधारण परिस्थितियों में शासन के माध्यम से गवर्नर के द्वारा ही स्वीकृति दी जा सकती है। माननीय हाई कोर्ट जबलपुर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा सुनवाई के दौरान दिनाँक 01/09/2020 को श्री अमित चतुर्वेदी अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि असाधारण अवकाश की स्वीकृति हेतु मूलभूत नियम 18 एवं अवकाश नियम 1977 के नियम 11 के अनुपालन में जिला शिक्षा अधिकारी, पन्ना द्वारा वर्ष 2015 में प्रमुख सचिव को पत्र भेजा गया था। जो कि अभी लंबित है। राज्य शासन का कृत्य अमानवीय एवं कल्याणकारी राज्य की परिकल्पना के विरुद्ध है। अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी द्वारा, बहस के दौरान न्यायालय से अनुरोध किया गया कि महिला की आयु 73 वर्ष है अतः प्रकरण का निराकरण अन्तिम रूप से हो।
माननीय हाई कोर्ट जबलपुर ने प्रकरण को अंतिम रूप से निराकृत करते हुए, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा आदेश दिया है कि 5 साल से अधिक के अवकाश का निराकरण वे, तीन माह के अंदर करे। जरूरत होने पर सचिव स्कूल शिक्षा जिला शिक्षा अधिकारी से बात करें। लेकिन यह अवधि किसी भी स्थिति में तीन महीने से ज्यादा की नही हो। उपरोक्त अवकाश की स्वीकृति के बाद, विधवा को पेंशन देने हेतु मार्ग खुल जायेगा।
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