सरकारी स्कूलों में शिक्षक पद पर नियुक्ति हेतु B-Ed शिक्षा-स्नातक (Bachelor of Education) पास होना जरूरी है। यही कारण है कि हर साल हजारों स्टूडेंट्स B.Ed कोर्स के लिए एडमिशन की लाइन में खड़े नजर आते हैं परंतु इस साल नजारा कुछ बदला हुआ है। जिन कॉलेजों में एडमिशन के लिए पॉलिटिकल सोर्स और रिश्वत की जरूरत होती थी, उन कॉलेजों की 75% से अधिक सीटें खाली पड़ी हुई है।
नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) द्वारा बैचलर ऑफ एजुकेशन कोर्स का संचालन किया जाता है। निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार इस साल भी प्रवेश प्रारंभ किए गए परंतु इस साल एडमिशन लेने के लिए स्टूडेंट्स की लंबी कतार नहीं लगी। इसके पीछे कारण कोरोनावायरस का संक्रमण नहीं है बल्कि मध्य प्रदेश की सरकार है।
मध्यप्रदेश में प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड द्वारा 2018 में शिक्षक पात्रता परीक्षा की शुरुआत की गई थी। आवेदन पत्र प्राप्त करने के बाद PEB ने परीक्षा का आयोजन नहीं किया। MPTET-3 की परीक्षा तो आज भी बाकी है। तमाम हंगामे के बाद MPTET 1-2 की परीक्षा का आयोजन हुआ तो रिजल्ट घोषित नहीं किए गए। उम्मीदवारों ने आंदोलन किए, नारेबाजी की, पुतले जलाए, हर जिले में ज्ञापन दिए गए तब कहीं जाकर परीक्षा परिणाम घोषित हुआ परंतु पिछले 1 साल से नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी नहीं हो रही है। यही कारण है कि साल मध्यप्रदेश में B.Ed कोर्स में एडमिशन के लिए स्टूडेंट्स की संख्या ना के बराबर है।
मध्यप्रदेश में B.ED ADMISSION के लिए सोमवार से तीसरे दौर की कॉउंसिलिंग प्रक्रिया शुरू हो गई है। विद्यार्थी 19 सितंबर तक कॉलेजों में प्रवेश के लिए पंजीयन करा सकेंगे, जबकि दस्तावेजों का सत्यापन 20 सितंबर तक हो सकेगा। कॉलेज का आवंटन 26 सितंबर को किया जाएगा। 30 सितंबर तक आवंटित कॉलेजों में प्रवेश लिया जा सकेगा।
मध्य प्रदेश में कुल 50000 सीटें, केवल 11000 एडमिशन कंफर्म हुए
मध्य प्रदेश के कॉलेजों में बीएड पाठ्यक्रम की पचास हजार सीटें हैं। पिछले साल तक 100% सीटें भर जाती थीं, लेकिन बीएड की डिग्री लेने के बावजूद रोजगार नहीं मिलने के कारण इनमें प्रवेश की स्थिति बेहद खराब है। इस साल विभाग ने दूसरे दौर की कॉउंसिलिंग तक 25 हजार विद्यार्थियों को कॉलेज आवंटित कर चुका है, लेकिन अब तक प्रवेश सिर्फ 11 हजार सीटों पर ही एडमिशन कंफर्म हुए हैं।